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*🏻 3⃣ सोहबत करने से ➧* _मर्द ने औरत से सोहबत किया, और अपने ऊज़ू-ए-तनासुल (लिंग) को औरत की शर्मगाह में दाख़िल किया चाहे मज़े (Sex) के साथ या बिना मज़े के साथ दाख़िल करे, और इन्ज़ाल हो या न हो (यानी मर्द की मनी निकले या न निकले सिर्फ़ औरत की शर्मगाह में ऊज़ू-ए-तनासुल को दाख़िल कर देने से ही) मर्द व औरत दोनों पर ग़ुस्ल फ़र्ज़ हो गया।_
📕 *[बुखारी शरीफ, जिल्द नं 1, बाब नं 201, हदीस नं 284, सफा नं 195,]* 📕
*🏻 4⃣ हैज़ के बाद ➧* _औरत को जो हैज़ (माहवारी) का खून आता है उसके बन्द हो जाने के बाद औरत को ग़ुस्ल करना फ़र्ज़ है।_
📕 *[कानूने शरीअ़त, जिल्द नं 1, सफा नं 38,]* 📕
*🏻 5⃣ निफ़ास के बाद ➧* _औरत को बच्चा जन्ने के बाद जो खून शर्मगाह से आता है। उसे "निफ़ास" कहते है इस खून के बन्द हो जाने के बाद औरत को ग़ुस्ल करना फ़र्ज़ है (निफ़ास का तफ़सील से आगे बयान आएगा।)_
📕 *[कानूने शरीअ़त, जिल्द नं 1, सफा नं 38,]* 📕
○✧➤ _इन पाँच चीजों से ग़ुस्ल फ़र्ज़ हो जाता है। अब इसके अलावा चन्द और ज़रूरी मसअ़ले है जिन का हर मुसलमान को जानना और याद रखना ज़रूरी है।_
*🏻 मनी ➧* _मनी (वीर्य) वोह है जो शहवत (मज़े) के साथ निकलती है ।_
*🏻 मज़ी ➧* _वोह है जो बगै़र मज़े के ऐसे ही बेफुज़ूल बेकार ही "ऊजु-ए-तनासुल" (लिंग) पर चिपचिपा सा माद्दा निकलता है।_
*🏻 वदी ➧* _गाढ़े पेशाब को कहते है।_
○✧➤ _मनी के निकलने से ग़ुस्ल फ़र्ज़ होता है जबकि मज़ी और वदी के निकलने से ग़ुस्ल फ़र्ज़ नही होता लेकिन वुज़ू टूट जाता है।_
*🏻 मसअ़ला ➧* _अगर मनी इतनी पतली पड़ गई के पेशाब के साथ या वैसे ही कुछ क़तरे बगै़र शहवत (मज़े) के निकल आए तो ग़ुस्ल फ़र्ज़ न हुआ लेकिन वुज़ू टूट जाएगा।_
📕 *[कानूने शरीअ़त, जिल्द नं 1, सफा नं 38,]* 📕
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*🏻 बीमारी से मनी निकलना ➧* _किसी ने बोझ उठाया या ऊँचाई से नीचे गिरा या बीमारी की वजह से बगै़र शहवत (Sex, के बिना ही) बगै़र किसी मज़े के साथ मनी निकल गई तो ग़ुस्ल फ़र्ज़ न हुआ लेकिन वुज़ू टूट गया।_
📕 *[कानूने शरीअ़त, जिल्द नं 1, सफा नं 38,]* 📕
*🏻 पेशाब के साथ मनी निकलना ➧* _अगर किसी ने पेशाब किया और मनी निकली तो अगर उस वक्त़ ऊज़ू-ए-तनासुल (लिंग) में तनाव (टाईट पन) था तो ग़ुस्ल फ़र्ज़ हो गया। और अगर तनाव नही था और बगै़र मज़े के पेशाब के साथ मनी निकली तो ग़ुस्ल फ़र्ज़ न हुआ।_
📕 *[ फ़तावा-ए-आलमगीरी ]* 📕
*🏻 किस पर ग़ुस्ल फ़र्ज़ हुआ ➧* _मर्द और औरत एक ही बिस्तर पे सोए लेकिन सोहबत (संम्भोग) न किया और सुब्ह बेदार होने के बाद बिस्तर पर दाग (धब्बा) पाया। मर्द और औरत दोनो को याद नही के दोनों में से किसे एहतलाम (नाईट फ़ाल) हुआ है तो अब उस धब्बे (दाग) को देखे अगर वोह धब्बा लम्बा और सफ़ेद और गन्दा सा है तो मर्द पर ग़ुस्ल फ़र्ज़ हुआ (यानी वोह धब्बा मर्द की मनी का है) और अगर धब्बा गोल, पतला, और पीले रंग का है तो औरत पर ग़ुस्ल फ़र्ज़ हुआ (यानी वोह मनी औरत की है)_
*🏻 मसअ़ला ➧* _मर्द व औरत एक बिस्तर पर सोए बेदारी के बाद बिस्तर पर मनी पाई गई और उनमें से किसी को एहतलाम याद नही ! एहतियात येह है कि दोनों ग़ुस्ल करे यही सही है।_
📕 *[बहारे शरीअ़त, जिल्द नं 1, हिस्सा 2, सफा नं 21,]* 📕
*🏻 सोहबत के बाद मनी निकलना ➧* _किसी औरत ने अपने शौहर से सोहबत की सोहबत के बाद ग़ुस्ल किया फिर उस की शर्मगाह से अगर उस के शौहर की मनी निकली तो उन पर ग़ुस्ल वाज़िब न होगा लेकिन वुज़ू जाता रहेगा।_
📕 *[बहारे शरीअ़त, जिल्द नं 1, हिस्सा 2, सफा नं 22,]* 📕
*🏻 ना पाक के लिए कौन सी बात हराम है ➧* _जिस को नहाने (ग़ुस्ल) करने की ज़रूरत हो,_
○ उसको मस्जिद में जाना,
○ काबे का तवाफ़ करना,
○ कुरआने करीम छूना,
○ बे देखे या जबानी पढ़ना,
○ या किसी आयत का लिखना,
○✧➤ या ऐसी अँगूठी छूना या पहेनना जिस पर कुरआन की कोई आयत, या अदद, या हुरूफ़े मुक़त्तआ़त (Arabic, Alphabets) लिखे हुए हो,
○✧➤ दीनी किताबें, जैसे हदीस व तफ़सीर, और फिक़्ह वगै़रा की किताबें छूना हराम है।
○✧➤ _अगर कुरआने करीम जुजदान में हो या रुमाल व कपड़ों में लिपटा हो तो उस पर हाथ लगाने में हर्ज नही। अगर कुरआन की कोई आयत कुरआन की नियत से न पढ़ी सिर्फ़ तबर्रूक़ के लिए, बिस्समिल्लाह, अल्हमदुलिल्लाह, या सूरए फ़ातिहा, या आयतल कुर्सी, या ऐसी ही कोई आयत पढ़ी तो कुछ हर्ज नही। इसी तरह दुरूद शरीफ़ भी पढ़ सकते है।_
📕 *[कानूने शरीअ़त, जिल्द नं 1, सफा नं 38,]* 📕
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*⚘⇩नजासतो के पाक करने का तरीक़ा⇩⚘*
○✧➤ _ग़ुस्ल से पहले गन्दे और ना पाक कपड़ों को पाक करना ज़रूरी है।_
*🏻 कपड़ों को पाक करने का तरीक़ा ➧* _वोह कपड़ा जिस पर नजासत (गन्दगी) लगी हो उस पर पहले साफ़ पानी बहा कर खूब अच्छी तरह मले फिर कपड़े को तरह निचोड़ ले। फिर दूसरा साफ़ पानी ले और कपड़े पर बहाएँ फिर साबुन या सर्फ़ वगै़रा से अच्छी तरह धोएँ फिर उस कपड़े को निचोड़ ले। अब तीसरी मरतबा साफ़ नया पानी ले और कपड़ों पर बहाएँ और फिर निचोड़ ले। अब आप का वोह कपड़ा पाक हो गया। यानी तीन मरतबा नया पानी लेना और तीन मरतबा अच्छी तरह कपड़े पर बहाना और फिर अच्छी तरह निचोड़ लेना ज़रूरी है।_
*🏻 मसअ़ला ➧* _नजासत (गन्दगी) अगर पतली है तो तीन मरतबा धोने और तीनों बार अच्छी तरह निचोड़ने से कपड़ा पाक होगा।_
*🏻 मसअ़ला ➧* _कपड़े को अच्छी तरह से निचोड़ने का मतलब येह है कि हर बार अपनी पूरी ताकत से इस तरह निचोड़े कि पानी के क़तरे (बूँदें) टपकना बन्द हो जाए, अगर कपड़े का ख़्याल कर के अच्छी तरह नही निचोड़ा तो वोह कपड़ा इस्लामी शरीअ़त के मुताबिक़ पाक न समझा जाएगा।_
*🏻 मसअ़ला ➧* _कपड़े को तीन मरतबा धो कर हर मरतबा खूब निचोड़ लिया है कि अब निचोड़ने से पानी के क़तरे (बूँदें) टपकेगी नही फिर उस को लटका दिया और उससे पानी टपका तो येह पानी पाक है। और अगर खूब अच्छी तरह नही निचोड़ा था तो येह पानी ना पाक है और कपड़ा भी ना पाक है।_
*🏻 मसअ़ला ➧* _अगर किसी शख़्स ने ना पाक कपड़े धो कर अच्छी तरह निचोड़ लिया। मगर एक दूसरा शख़्स ऐसा है जो इस पहले शख़्स से ज़्यादा ताक़तवर है अगर वोह कपड़ा निचोड़े तो एक दो पानी की बूँदें और टपक सकती थी। तो वोह कपड़ा पहले वाले शख़्स के लिए पाक है और इस दूसरे ताक़तवर शख़्स के लिए ना पाक है क्योंकि दूसरा शख़्स पहले शख़्स से ताक़त में ज़्यादा है। अगर येह दूसरा ज़्यादा ताक़तवर शख़्स खुद धोता और निचोड़ता तो वोह कपड़ा उस के लिए और पहले वाले शख़्स के लिए भी पाक होता।_
○✧➤ _इस मसअ़ले से पता चला कि मर्द को अपने ना पाक कपड़े खुद ही धोने चाहिए बीवी से न धुलवाएं क्योंकि औरत की ताक़त मर्द की ताक़त से कम होती है जब कि मर्द औरत से ज़्यादा ताक़तवर है अगर वोह खुद निचोड़े तो एक दो बूँदें कपड़े से और निकाल सकता है इस लिए कपड़े ना पाक ही होंगे।_
○✧➤ _लेकिन किसी की औरत मर्द से ज़्यादा ताक़तवर हो और उसने अच्छी तरह निचोड़ा तो मर्द के लिए कपड़ा पाक है ऐसे मर्दों को जिनकी बीवी उससे ज़्यादा ताक़तवर है तो उसके हाथों धुले कपड़े पहनने में कोई हर्ज नही।_
*🏻 मसअ़ला ➧* _कपड़े को पहली मरतबा धोने, निचोड़ने के बाद हाथ दूसरे नये पानी से अच्छी तरह धोए, फिर दूसरी मरतबा कपड़ा धोने और निचोड़ने के बाद हाथ दूसरे पानी से फिर अच्छी तरह धोए, और तीसरी मरतबा कपड़ा धोने और निचोड़ने से कपड़ा और हाथ दोनों पाक हो गए।_
*🏻 मसअ़ला ➧* _ऐसी चीजें जिन्हें निचोड़ा नही जा सकता, जैसे रूई का गद्दा, दरी, चटाई, कारपेट, सतरंजी, वगै़रा तो इन्हें पाक करने का तरीक़ा येह है कि उन पर पहले इतना पानी बहाए कि वोह पूरी तरह भीग जाए और पानी बहने लगे इसके बाद हाथ से अच्छी तरह मले और उसे उस वक्त़ तक छोड़ दे जब तक कि पानी गद्दे, चटाई, वगै़रा से टपकना बन्द हो जाए। फिर दूसरी मरतबा पानी बहाए फिर छोड़ दे जब पानी की बूँदें टपकना बन्द हो जाए तो अब तीसरी मरतबा उस पर पानी बहाए और सूखने के लिए छोड़ दे। अब वोह चीज़ पाक हो गई। तीन मरतबा नया पानी उस चीज़ पर बहाना और हर मरतबा पानी टपकने तक इन्तेज़ार करना ज़रूरी है।_
📕 *[अहकामे शरीअ़त, जिल्द नं 3, सफा नं 252, कानूने शरीअ़त, जिल्द नं 1, सफा नं 56/57,]* 📕
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*⚘⇩ ग़ुस्ल {स्नान, Bathing} ⇩⚘*
*🏻 आयत ➧* _अल्लाह रब्बे करीम इरशाद फ़रमाता है_
وَإِن كُنتُمْ جُنُبًا فَاطَّهَّرُوا ۚ
*🏻 तर्जुमा ➧* _और अगर तुम्हें नहाने की हाज़त हो तो खूब सुथरे हो लो।_
📕 *[तर्जुमा :- कन्जुल ईमान शरीफ, पारा 6, सूरए मायेदा, आयत नं 6,]* 📕
*🏻 हदीस ➧* _उम्मुलमोमेनीन हज़रत आएशा सिद्दीक़ा (रदिअल्लाहो तआला अन्हो) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह ﷺ ने इरशाद फ़रमाया_
○✧➤ _जब मर्द सोहबत के बाद ग़ुस्ल करता है तो बदन के जिस बाल पर से पानी गुज़रता है उस हर बाल के बदले उसकी एक नेकी लिखी जाती है एक गुनाह कम कर दिया जाता है और एक दर्जा ऊँचा कर दिया जाता है। और अल्लाह तआला उस बन्दे पर फख़्र करता है और फ़रिश्तों से कहता है कि "मेरे इस बन्दे की तरफ देखो के इस सर्द (ठण्ड़ी) रात में ग़ुस्ले जनाबत के लिए उठा है, इसे मेरे परवरदिगार होने का यक़ीन है, तुम इस बात पे गवाह रहना कि मै ने इसे बख़्श दिया"।_
📕 *[गुन्यतुत्तालिबीन, बाब नं 5, सफा नं 113,]* 📕
○✧➤ _ग़ुस्ल में तीन फ़र्ज़ है इन में से अगर कोई एक भी छूट गया तो चाहे समुन्दर में भी नहा ले तो भी ग़ुस्ल न होगा, और इस्लामी शरीअ़त के मुताबिक़ ना पाक ही रहेगा। इसी तरह अगर ग़ुस्ल तरीक़े के मुताबिक़ नही किया बस ऐसे ही जिस्म पर पानी बहा दिया तो भी ग़ुस्ल न होगा। ग़ुस्ल में तीन फ़र्ज़ है।_
*🏻 1⃣ गरारह करना ➧* _मुँह भर कर गरारह करना की हलक़ का आख़िरी हिस्सा दाँतों की खिड़कियाँ, मसूढ़े, वगै़रा सब से पानी बह जाए। दाँतों में अगर कोई चीज़ अटकी हुई हो तो उसे निकालना ज़रूर है अगर वहां पानी न लगा तो ग़ुस्ल न होगा। अगर रोज़ा हो तो गरारह न करे सिर्फ़ कुल्ली करे कि अगर गलती से भी पानी हलक़ के नीचे चला गया तो रोज़ा टूट गया।_
*🏻 मसअ़ला ➧* _कोई शख़्स पान चूना कथ्था वगै़रा खाता है और चूना व कथ्था दाँतों की जड़ों में ऐसा जम गया कि उसका छुड़ाना बहुत ज़्यादा नुक़सान का सबब है तो मुआ़फ है गरारह करना काफ़ी होगा। और अगर बगै़र किसी नुक़सान के छुड़ा सकता है तो छुड़ाना वाज़िब है बगै़र उस के छुड़ाए ग़ुस्ल न होगा।_
📕 *[फ़तावा-ए-रज़वीया, जिल्द नं 2, बाबुल ग़ुस्ल 18,]* 📕
*🏻 2⃣ नाक में पानी डालना ➧* _नाक के आख़िरी नर्म हिस्से तक पानी पहुँचाना फ़र्ज़ है नाक की गन्दगी को उँगली से अच्छी तरह निकाले। पानी नाक मे नाक की हड्डी लगाना चाहिए और नाक में पानी तेज़ लगे।_
*🏻 3⃣ तमाम बदन पर पानी बहाना ➧* _तमाम बदन पर पानी बहाना कि बाल बराबर भी बदन का कोई हिस्सा सूखा न रहे, बग़लेे नाफ (बोम्नी) कान के सूराख तक पानी बहाना ज़रूरी है_
📕 *[बहारे शरीअ़त, जिल्द नं 1, सफा नं 18, कानूने शरीअ़त, सफा नं 1, सफा नं 37,]* 📕
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*ग़ुस्ल {स्नान, Bathing}*
*⚘⇩ ◥◣ ग़ुस्ल करने का तरीक़ा ◢◤ ⇩⚘*
○✧➤ _ग़ुस्ल में नियत करना सुन्नत है अगर न की तब भी ग़ुस्ल हो जाएगा। ग़ुस्ल की येह है कि मैं पाक होने और नमाज़ जाइज़ होने के वास्ते ग़ुस्ल कर रहा हूँ / या कर रही हूँ।_
○✧➤ _नियत के बाद पहले दोनों हाथ गट्टे (कलाई) तक तीन मरतबा अच्छी तरह धोए, फिर शर्मगाह और उसके आस पास के हिस्सों को धोए चाहे वहां गन्दगी लगी हो या न लगी हो, फिर बदन पर जहाँ जहाँ गन्दगी हो वहाँ धोए, इस के बाद गरारह करे कि पानी हलक़ के आख़िरी हिस्से, दाँतों की खिड़की, मसूढ़ो वगै़रा में बह जाए, कोई चीज़ दाँतों में अटकी हो तो लकड़ी वगै़रा से उसे निकाले फिर नाक में पानी डाले, इस तरह की नाक की आख़िरी हिस्से (हड्डी) तक पानी पहुँच जाए और वोह नाक में तेज़ लगे फिर चेहरे को धोए इस तरह के पेशानी से लेकर थुड्डी तक और एक कान से दूसरे कान की लव तक, फिर तीन मरतबा कोहनियो समेत हाथों पर पानी बहाए फिर सर का मसा करे जिस तरह वुज़ू में करते है उसी तरह मसा करे ।_
○✧➤ _इस के बाद बदन पर तेल की तरह पानी मले। फिर तीन मरतबा सर पर पानी डाले फिर तीन मरतबा सीधे मोन्ढ़े (कान्धे) पर और तीन मरतबा दाएँ मोन्ढ़े पर लोटे या मग वगै़रा से पानी डाले और जिस्म को मलते भी जाए इस तरह कि बदन का कोई हिस्सा सूखा न रहे, सर के बालों की जड़ों, बगल में शर्मगाह के हर हिस्से वगै़रा सब जगह पानी बहना चाहिये उँगली में अँगूठी हो तो उसे घुमा कर वहाँ पानी पहुँचाए, इसी तरह औरत अपने कान की बाली, नाक की नथनी, वगै़रा को घुमा घुमा कर वहाँ पानी पहुँचाए, सर के बाल खोल ले तो बेहतर है वरना येह अहतियात ज़रूरी है कि सर के बाल और सर की जड़ों तक पानी ज़रूर पहुँचे (अब आप इस्लामी शरीअ़त के मुताबिक़ पाक हो गये और आपका ग़ुस्ल सही हो गया) इसके बाद साबुन वगै़रा जो भी जाइज़ चीज लगाना हो वोह लगा सकते है आखिर में पैर धो कर अलग हो जाए।_
📕 *[फ़तावा-ए-रज़वीया, जिल्द नं 2, सफा नं 18, कानूने शरीअ़त, जिल्द नं 1, सफा नं 36,]* 📕
*🏻 मसअ़ला ➧* _नहाने के पानी में बे वुज़ू शख़्स का हाथ, उँगली, नाखून, या बदन का कोई और हिस्सा पानी में बे धोए चला गया तो वोह पानी ग़ुस्ल और वुज़ू के लाएक नही रहा इसी तरह जिस शख़्स पर नहाना (ग़ुस्ल) फ़र्ज़ है उस के जिस्म का भी कोई हिस्सा बे धोए पानी से छू गया तो वोह पानी ग़ुस्ल के लाएक नही। इस लिए टाके वगै़रा का पानी जिस मे घर के कई लोगों के हाथ बगै़र धुले हुए पड़ते है उस पानी से ग़ुस्ल व वुज़ू नही करना चाहिये। बल्कि ग़ुस्ल के लिए पहले से ही अहतियात से किसी बाल्टी या डराम मे अलग ही नल से पानी भर ले। अगर धुला हुआ हाथ या बदन का कोई हिस्सा पानी में चला गया या छू गया तो कोई हर्ज नही।_
○✧➤ _इसी तरह ग़ुस्ल करते वक्त़ येह भी अहतियात रखे कि बदन से पानी के छींटे बाल्टी में मौजूद पानी जिस से ग़ुस्ल कर रहा है उस में जाने न पाए वरना वोह पानी भी ना पाक़ हो जाएगा और फिर उस पानी से ग़ुस्ल नही होगा।_
📕 *[कानूने शरीअ़त, जिल्द नं 1, सफा नं 39,]* 📕
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*🏻 मसअ़ला ➧* _ऐसा हौज़ या तालाब जो दस हाथ लम्बा दस हाथ चौड़ा, (यानी कम अज कम 10/10 fits का) होतो उसके पानी में अगर हाथ या नजासत (गन्दगी) चली गई तो वोह पानी ना पाक नही होगा, जब तक कि उस का रंग, मज़ा, और बू न बदल जाए। उससे ग़ुस्ल और वुज़ू जाइज़ है। और अगर रंग या मज़ा या बू बदल गई तो उस पानी से ग़ुस्ल व वुज़ू जाइज़ न होगा।_
📕 *[कानूने शरीअ़त, जिल्द नं 1, सफा नं 39,]* 📕
*🏻 मसअ़ला ➧* _ग़ुस्ल करते वक्त़ किबले की तरफ रुख़ कर के नहाना मना है। ग़ुस्ल खाने में नंगे नहाने में कोई हर्ज नही, औरतों को ज़्यादा अहतियात की ज़रूरत है यहाँ तक कि बैठ कर नहाना बेहतर है। ऐसी जगह नहाए जहाँ किसी के देखने का ख़तरा न हो। नहाते वक्त़ बात चीत करना, कुछ पढ़ना, चाहे दुआ ही क्यों न हो, कलमा शरीफ, दुरूद शरीफ़, वगै़रा पढ़ना मना है।_
○✧➤ _कुछ लोग चड्डी पहने सड़कों के किनारेे सरकारी नल में नहाते है येह जाइज़ नही बल्कि शख़्त गुनाह व हराम है, क्योंकि मर्द को मर्द से बदन घुटने से नाफ़ (बोम्नी) तक का हिस्सा छुपाना फ़र्ज़ है_
📕 *[कानूने शरीअ़त, जिल्द नं 1, सफा नं 37,]* 📕
*🏻 मसअ़ला ➧* _कुछ लोग ना पाक चड्डी या कपड़ा पहने हुए ही ग़ुस्ल करते है और समझते है कि नहाने में सब कुछ पाक हो जाएगा। येह बेवकूफ़ी है इस से तो गन्दगी फैल कर पूरे बदन को ना पाक कर देती है। और वैसे भी इस तरीक़े से चड्डी पाक समझी नही जाएगी। क्योंकि ना पाक कपड़े को तीन बार धोना, और हर बार अच्छी तरह निचोड़ना ज़रूरी है (जिस का बयान पहले ही गुजर चुका है) इस लिए ना पाक चड्डी या कपड़े को उतार ले, पाक चड्डी या कपड़ा ही बाँध कर ग़ुस्ल करें।_
*🏻 नाखून पॉलिश होने पर ग़ुस्ल न होगा ➧* _कुछ मर्द और ज़्यादा तर औरतें अपने नाखूनो पर पॉलिश करती है नाखून पॉलिश में स्पिरट (शराब, Alcohol) होता है जो कि शरीअ़त में सख़्त हराम है, और मर्दों के लिए तो बहुत ही ज़्यादा हराम व गुनाह है। नाखूनो पर पॉलिश होने की वजह से वुज़ू और ग़ुस्ल करते वक्त़ पानी नाखूनो पर नही लगता बल्कि पॉलिश पर लग कर फिसल जाता है और सिरे से ही ग़ुस्ल नही होता। जब ग़ुस्ल ही न हुआ तो ना पाक ही रहा और ना पाकी की हालत में नमाज़ पढ़ी तो नमाज़ न होगी। और जान बूझकर ना पाक रहना सख़्त गुनाह व हराम है। अल्लाह न करे अगर इस हालत में मौत आ गई तो उस का वबाल अलग। इस लिए औरतों को चाहिए कि नाखून पॉलिश न लगाए।_
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*⚘⇩ ◥◣ ताक़त बख़्श ग़िज़ाएँ ◢◤ ⇩⚘*
○✧➤ _अहादीसे मुबारका में ऐसी बहुत सी चीजों के बारे में बताया गया है कि जिन के खाने से क़ुव्वत बढ़ती है जिस्म हमेशा सेहतमन्द और चुस्त रहता है। इससे ख़ास कर मर्दों में मर्दानगी की क़ुव्वत बढ़ती है।_
*🏻 हदीस ➧* _उम्मुलमोमेनीन हज़रत आएशा सिद्दीक़ा (रदिअल्लाहो तआला अन्हा) से रिवायत है कि_
○✧➤ _रसूले अकरम ﷺ को शहद (Honey, मधु,) बहुत पसंद था। और मीठी चीज़।_
📕 *[बुखारी शरीफ, जिल्द नं 3, बाब नं 399, हदीस नं 642, सफा नं 253,]* 📕
*🏻 हदीस ➧* _रसूले अकरम ﷺ ने इरशाद फरमाया_
○✧➤ _शहद के शरबत से बढ़ कर कोई दवा नही (यानी हर बीमारी के लिए शहद बेहतरीन दवा है)_
○✧➤ _शहद के बे शुमार फ़ायदे है शहद में हजारों किस्म के फूलों का रस होता है अगर पूरी दुनिया के हकीम व डॉक्टर मिल कर भी ऐसा रस तैयार करना चाहे तो भी लाख कोशिश कर ले वोह ऐसी चीज़ तैयार नही कर सकते। येह अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त का ख़ास करम है कि वोह इन छोटी छोटी मक्ख़ियों से इन्सानों के लिए ऐसी बेहतरीन और फ़ायदेमन्द चीज़ तैयार करवाता है।_
*🏻 हदीस ➧* _हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास (रदिअल्लाहो तआला अन्हो) से रिवायत है कि_
○✧➤ _हुज़ूर ﷺ को पीने की चीजों में सब से ज़्यादा दूध पसन्द था"।_
*🏻 हदीस ➧* _हज़रत आएशा (रदिअल्लाहो तआला अन्हा) ने इरशाद फरमाया_
○✧➤ _हुज़ूरे अक़दस ﷺ खज़ूर, मक्खन, और दही मिला कर खाते थे। और येह आप को बहुत पसंद था।_
*🏻 नोट ➧* _तीनों चीजें बराबर मिला कर खाए, मस्लन आधा पाव मक्खन, आधा पाव दही, आधा पाव खज़ूर, इन तीनों को मिलाकर हलवा सा बना लें।_
*🏻 हदीस ➧* _रसूलुल्लाह ﷺ (अक्सर) खज़ूर को मक्खन (मसके) के साथ खाया करते थे।_
*🏻 हदीस ➧* _हज़रत इमाम मुहम्मद ग़ज़ाली (रदिअल्लाहो तआला अन्हो) फ़रमाते है_
○✧➤ _चार चीजें मर्दाना कुव्वत को बढ़ाती है। चीड़ियों का गोश्त, इतरीफल (एक किस्म की यूनानी दवा, आयुर्वेद में तीरीफल कहते है) पिस्ता, और तेरहतेजक़ (एक तरह की जड़ी बूटी। (इहयाउल ऊलूम)_
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*🏻 हदीस ➧* _रसूले ख़ुदा ﷺ ने इरशाद फरमाया तमाम गोश्त (मास, Meat) में पुश्त (पूठ) का गोश्त सबसे बेहतर है।_
*{ गाय का गोश्त }*
*_______________*
○✧➤ _कुछ लोग गाय के गोश्त को बहुत बुरा समझते है जब कि अल्लाह तआला ने उसे हलाल फ़रमाया है फिर येह कितनी बड़ी जहालत होगी के जिस चीज़ को अल्लाह हलाल करे, उसे बन्दा ना जाइज़ और बुरा समझे। अगर किसी को कोई चीज़ पसन्द न हो तो वोह उसे न खाए लेकिन इस्लाम किसी को येह इज़ाज़त नही देता कि वोह सिर्फ अपने ना पसन्द होने की वजह से बुरा समझे और जो लोग खाते हैं उन्हें हिकारत की निगाह से देखे।_
○✧➤ _आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खाँ (रदिअल्लाहो तआला अन्हो) इरशाद फ़रमाते है_
*🏻 इरशाद ➧* _गाय का गोश्त बे शक हलाल है और निहायत ही गरीबों को पालने वाला और कुछ चीजों में तो बकरे व बकरी के गोश्त से भी ज़्यादा फ़ायदा पहुँचाने वाला है। और उस की क़ुरबानी का तो ख़ास क़ुरआने अजीम में इरशाद है। और खुद हुज़ूरे अकरम ﷺ ने उसकी क़ुरबानी अज़वाजे मुताहरात (अपनी बीवीयों) की तरफ से फ़रमाई हिन्दुस्तान में ख़ास तौर पर इसकी क़ुरबानी करना, इस्लाम की ख़ितमत, ईबादत और शान है (इस लिए कि यहाँ के क़ाफ़िर गाय को पूजते है और इस्लाम ऐैसे हर बातिल माबूदो को खत्म करने आया है) और इसका (यानी गाय की क़ुरबानी) का बाकी रखना वाज़िब है।_
📕 *[अलमलफ़ूज़, जिल्द नं 1, सफा नं 14,]* 📕
○✧➤ _एक दूसरी जगह इरशाद फ़रमाते है_
*🏻 इरशाद ➧* _मुश'रिकों (बुतों को पूज़ने वालो) की ख़ुशनूदी के लिए गाय की क़ुरबानी बन्द करना हराम हराम सख़्त हराम है। और जो बन्द करेगा ज़हन्नम के अ़ज़ाबे शदीद का मुस्तहिक़ होगा। और रोज़े क़ियामत मुश'रिकों के साथ एक रस्सी में बाँधा जाएगा। (वल्लाहो आलम)_
📕 *[अहकामे शरीअ़त, जिल्द नं 2, सफा नं 139,]* 📕
*🏻 कुछ ख़ास चीज़ें ➧* _इन चीजों का इस्तेमाल हमेशा अपनी ग़िज़ा में रखे इनके खाने के बहुत से फ़ायदे है। येह चीज़ें मर्दाना कुव्वत को बढ़ाती है। यहाँ हर एक के फ़ायदे बयान कर पाना मुम्क़िन नही।_
*🏻 अनाज़ ➧* _गेहूँ, चावल, तिल, मूँगफली, मुंग, चना, ख़शख़श,_
*🏻 सब्जी ➧* _प्याज़, लहसुन, आलू, अरवी, भेंडी, शलजम, कद्दू, लौकी, गाजर, शकरकंद,_
*🏻 पकी चीज़ें ➧* _मुर्गी का बच्चा, बतख के अंडे, ताज़ा मछली, बकरे व गाय का गोश्त पाये, कलेजी, दूध, दही, मक्खन,_
*🏻 फल ➧* _आम, अंगूर, अनार, केला, सेब, अमरूद, ख़रबूज़ा,_
*🏻 मेवें ➧*_खज़ूर, पिस्ता, बादाम, मखाना, किशमिश, अखरोट, खोपरा, चिलगोजा, जैतून,_
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*⚘⇩ ताक़त कम करने वाली ग़िज़ाएँ ⇩⚘*
○✧➤ _कई ऐसी चीजें है जिन का इस्तेमाल मर्द मे मर्दाना क़ुव्वत को घटा देता है। लिहाजा मर्दाना क़ुव्वत हमेशा कायम रखने के लिए इन चीजों का इस्तेमाल न करें। अगर खाना ही पड़ जाए तो बहुत कम खाए। कि इन चीजों के खाने से मर्द में कमज़ोरी पैदा होती है वोह चीज़ें येह है।_
○✧➤ _इमली, आम या नीबू का अचार, चटनी, नीबू आम की खटाई, खट्टे फल, शराब, अफयून, और हर वोह चीज़ जो नशा पैदा करे, ज़्यादा चाय, ज़्यादा काफी, बीड़ी, सिगरेट, खर्रा (गुटखा) वगै़रा इन चीजों के ज़्यादा इस्तेमाल से मर्द को नुक़सान है।_
*🏻 हदीस ➧* _हज़रत अली (रदिअल्लाहो तआला अन्हो) से रिवायत है कि हुज़ूर ﷺ ने चालीस (40) रोज़ लगातार गोश्त खाने से मना फ़रमाया"_
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*⚘⇩ ◥◣ मर्दाना बीमारियाँ ◢◤ ⇩⚘*
○✧➤ _मौजूदा जमाने में बदक़ारियाँ और अय्याशियां बहुत ज़्यादा बढ़ चुकी है जिसकी वजह फ़िल्में, औरतों का बेपर्दा सड़कों पर घूमना, नवज़वान लड़के लड़कियों का गंदे मेैग़ज़ीन और नाविल पढ़ना, स्कूलों और कॉलेजों में लड़के लड़कियों का एक साथ घूमना फिरना वगै़रा जैसी चीज़ें है।_
○✧➤ _इन बदकारियों और अय्याशियों का नतीजा है कि अक्सर मर्द और औरतें तरह तरह की ख़तरनाक जिन्सी बीमारियों में फँसे हुए हैं। इसलिए अव्वल तो ऐैसी हरकतें ही नही करना चाहिये जिससे ख़तरनाक बीमारी होने का ख़तरा हो, और अगर खुदा न ख़ास्ता आप येह गलती कर चुके है तो पहले सच्चे दिल से तौबा कीजिए और किसी इश्तेहारी और सड़क छाप हकीम के पास जाकर अपनी बची कुची सेहत को बरबाद करने के बजाए किसी अच्छे पढ़े लिखे क़ाबिल डॉक्टर या हकीम से इलाज कराए।_
○✧➤ _हम यहाँ कुछ मर्दाना और ज़नाना बीमारियों के बारे में और उनके इलाज के मुत्अ़ल्लिक़ लिख रहे हैं इन बीमारियों के इलाज के लिए वैसे तो हकीमों ने और बुज़ुर्गाने दीन ने कई तरह के नुस्ख़े और दवाइयाँ बताई है। लेकिन आज सबसे बड़ी दुशवारी येह है कि इन नुस्ख़ों और दवाओं में जिन चीजों का इस्तेमाल किया जाता है उन मे से तो कुछ चीजें मिलती ही नही है और कुछ चीजें मिलती भी है तो वोह असली नही होती।_
○✧➤ _लिहाजा हम यहाँ कुछ ही ऐसे नुस्ख़े लिख रहे हैं जिनमें इस्तेमाल होने वाली चीज़ें आप को आसानी से मिल जाएगी। और आप इसे अपने घर में खुद ही तैयार कर सकते है इसके अलावा हम यहाँ कुछ ऐैसे वज़ीफ़े और ताविज़ात भी लिख रहे हैं जो बुज़ुर्गाने दीन से साब़ित है, क्योंकि हकीमी इलाज के साथ साथ रहमानी इलाज भी ज़रूरी है।_
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*⚘⇩ ◥◣ नामर्दी ◢◤ ⇩⚘*
○✧➤ _कुछ लोग अपने लड़कपन में गलतियों व बुरी संगत की वजह से अपनी ताक़त गँवा देते है जिस के नतीजे में मर्दाना क़ुव्वत से हाथ धो बैठते है और शर्म की वजह से अपना हाल किसी से बता भी नही पाते। शादी होने या शादी की बात चलने के वक्त़ ऐैसे लोगों की परेशानी और बढ़ जाती है अगर मर्द में सोहबत करने की क़ुव्वत कम हो और औरत में ज़्यादा हो तो ऐसी हालत में औरत की ख़्वाहिश पूरी नही हो पाती इस ना मुकम्मल सोहबत से, जिस से औरत को इन्ज़ाल नही हो पाता, औरत को ना गवार मअ़लूम होता है और वोह आसाबी बीमारी "हेसटेरिया" (जिसमें जिस्म के पुठ्ठे कमज़ोर हो जाते है) उस बीमारी में मुब्तिला हो जाती है सोहबत से बेरग़बती और शौहर से नफ़रत करने लगती है। ज़्यादा सोहबत करने से भी ना मर्दानगी की बीमारी हो जाती है ऐैसी सूरत में मर्द को इलाज की तरफ़ ध्यान देना चाहिए।_
○✧➤ _लेकिन इश्तेहारी हकीमों, डॉक्टरों या सड़क छाप दवा बेचने वालों से भूल कर भी इलाज न करवाएँ, येह लोग जिस क़िस्म की दवाएँ बनाते है उन मे अक्सर अफ़यून, धतूरा, भंग, सन्ख़या, वगै़रा जैसी ज़हरीली चीज़ें शामिल होती है जिस से फौरन तो फ़ायदा होता है लेकिन बाद को नुक़सान होता है और इन का हमेशा बार बार का इस्तेमाल जल्द क़ब्र के गड़े तक पहुँचा देता है। इस लिए हुज़ूर ﷺ और बुज़ुर्गाने दीन की हिदायतों से फ़ायदा हासिल करना चाहिये और दवाओं के बजाए ग़िज़ाओं से (खाने पीने की चीजों) से कमज़ोरी दूर करना चाहिये। यहाँ हम नामर्दी को दूर करने के लिए कुछ नुस्ख़े बयान कर रहे हैं।_
*🏻 हदीस ➧* _अल्लाह के रसूल ﷺ ने इरशाद फ़रमाया_
○✧➤ _बदन से ज़ेरे नाफ़ (शर्मगाह के आस पास के) बालों को जल्द दूर करना क़ुव्वत (मर्दाना ताक़त) को बढ़ाता है"।_
*🏻 मसअ़ला ➧* _नाफ़ (बोम्नी) के नीचे के बाल दूर करना सुन्नत है और बेहतर येह है कि हफ़्ते में जुम्अ़ के दिन दूर करे। पंद्रहवें (15) रोज़ करना भी जाइज़ है और चालीस (40) दिनों से ज़्यादा गुजार देना मक़रूह व सख़्त मना है।_
📕 *[कानूने शरीअ़त, जिल्द नं 2, सफा नं 211,]* 📕
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*⚘⇩ ◥◣ नुस्ख़े ◢◤ ⇩⚘*
*🏻 1⃣ ➧* _माश की दाल (उड़द की दाल) एक पाव किसी काँच या चीनी के बर्तन में डाल कर उसमे सफ़ेद प्याज़ का रस इतना डालें कि दाल रस में अच्छी तरह भीग जाए। एक दिन रात उसको भीगा रहने दे, फिर जब वोह सूख जाए तो फिर प्याज़ का रस पहले की तरह दाल में पूरे भीगने तक डालें, एक दिन रात पहले की तरह सूखने के लिए रख दें। इस तरह येह अमल कुल (Total) सात बार करे यानी सात मरतबा प्याज़ का रस डालें, सात मरतबा दिन और रात तक दाल भीगने और सूखने दें। अब दाल को बारीक पीस लें और हर रोज़ 25 ग्राम येह पीसी हुई दाल ले फिर उस में 25 ग्राम असली घी 25 ग्राम शकर मिलाकर रोजाना फांक ले और उस पर पाव भर दूध पी ले येह दवा 40 दिनों तक खाए इस अर्से में औरत से सोहबत न करे बाद में इसका असर देखें।_
*🏻 2⃣ ➧* _प्याज़ का रस एक पाव और असली शहद एक पाव दोनों को मिला कर आग पर पकाए और जब प्याज़ का रस जल कर सिर्फ़ शहद बाकी रह जाए तो बोतल में भर ले 2 तोले से लेकर 3 तोले तक गर्म पानी या चाय के साथ पी लिया करे।_
*🏻 3⃣ ➧* _खज़ूर और भुने हुए चने दोनों बराबर वज़न में ले कर पीस लें और छान कर उस में प्याज़ का रस मिल कर बड़े से लड्डू बना लें और सुबह शाम एक एक लड्डू खा लिया करे।_
○✧➤ _इसमें बादाम भी मिलाना चाहे मिला सकते हैं)_
*🏻 4⃣ ➧* _गर्म दूध में शहद मिलाकर पीते रहने से मर्दाना क़ुव्वत बढ़ती है (नहार मुँह इस्तेमाल करें)_
*🏻 5⃣ ➧* _चने की दाल एक पाव ले कर आधा पाव गाय के दूध में मिला कर अच्छी तरह पकाएँ जब सारा दूध सूख कर दाल में समां जाए तो इसे सिल पर बारीक पीस लें, फिर पाव भर असली घी में थोड़ा सा भून कर पाव भर शकर मिला दें। इस हलवे को रोजाना एक छटाक (50) ग्राम सुबह नाश्ते में लीजिए।_
*🏻 6⃣ ➧* _हकीमों ने प्याज़ के इस्तेमाल को मर्दाना ताक़त बढ़ाने के लिए बहुत ही फ़ायदेमन्द बताया है। लेकिन इसका इस्तेमाल इतना ही करना चाहिये जितना हज़्म हो सके।_
📕 *[शम्अे शबिस्ताने रज़ा, जिल्द नं 1, सफा नं 104,]* 📕
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*⚘⇩ ◥◣ सुरअ़ते इन्ज़ाल / मनी का निकलते रहना ◢◤ ⇩⚘*
○✧➤ _सुरअ़ते इन्ज़ाल इस हालत को कहते है कि जब मर्द सोहबत का इरादा करे या सोहबत शुरू करे और उसको इन्ज़ाल हो जाए (यानी जल्दी से ही मनी निकल जाए) सोहबत जब कर रहा हो तो मनी कम से कम दो मिनट के बाद गिरना चाहिये। अगर एक डेढ़ मिनट में ही मनी गिर जाए तो समझ लेना चाहिए कि सुरअ़ते इन्ज़ाल की बीमारी है। अगर मर्द को सुरअ़ते इन्ज़ाल की शिकायत हो जाए तो उस सूरत में औरत की ख़्वाहिश पूरी नही होती क्योंकि औरत को इन्ज़ाल नही होता और येह हालत औरत के लिए तकलीफ़देह होती है और इस से एक बड़ा नुक़सान येह भी है कि औलाद नही पैदा हो पाती।_
○✧➤ _जब येह बीमारी बढ़ जाती है तो किसी खूबसूरत औरत को देखने से, या किसी का सिर्फ़ ख़्याल लाने से, या फिर ऊज़ू-ए-तनासुल (लिंग) के किसी नर्म व मुलायम कपड़े से छू जाने से भी इन्ज़ाल हो जाता है। इस बीमारी के होने के कई वज़ूहात है जैसे कि अपने हाथ से अपनी मनी निकालने की बुरी आदत, हमेशा गन्दे ख़्यालात, गन्दी फ़िल्मों का देखना, या फिर किसी वजह से मनी का पतला होना वगै़रा जैसी वज़ूहात है। इस बीमारी के होने की एक सबसे बड़ी वजह ज़्यादा सोहबत करना भी है। हकीमों ने कहा है-----ज़्यादा सोहबत बूढों को मौत की तरफ थकेल देती है, जवानों को बूढ़ा, मोटो को दुबला, और दुबले को मुर्दा बना देती है। लिहाजा सोहबत कम ही करे। इस बीमारी को दूर करने के लिए तेज़, गर्म चीजों के खाने से बचना चाहिये। इसी तरह गन्दी बातों, फ़िल्में और गन्दे नाविल पढ़ने से बचना चाहिये।_
*⚘⇩ ◥◣ नुस्ख़े ◢◤ ⇩⚘*
*🏻 1⃣ ➧* _पाँच अदद खज़ूरे ले, पाँच अदद अच्छी मीठी बादाम ले, कद्दू के बीज मीठे 6 माशा (1 माशा 8 रत्ती का होता है इस हिसाब से 24 रत्ती बीज ले) नारियल 2 तोला (यानी 20 ग्राम) लें। चारों को मिला कर अच्छी तरह बारीक पीस लें फिर एक सेर गाय के दूध में अच्छी तरह पका कर ठण्ड़ा कर ले। रोजाना सुबह को नाश्ते में खाए, इंशा अल्लाह येह बीमारी दूर हो जाएगी।_
*🏻 2⃣ ➧* _ऐैसी मरीज़ घी, मक्खन, मलाई का इस्तेमाल खाने में ज़्यादा करे। सुबह हल्की सी कसरत ज़रूर करे।_
*🏻 3⃣ ➧* _अंडे और गोश्त का इस्तेमाल भी ऐैसे मरीजों के लिए फ़ायदेमन्द होता है।_
*🏻 4⃣ ➧* _उस नुस्ख़े का इस्तेमाल जो हम ने "नामर्दी" वाले बाब (हिस्से) में नुस्ख़ा नं (5) में लिखा है उस का इस्तेमाल भी ऐैसी बीमारी वाले मरीज़ के लिए फ़ायदेमन्द साबित होगा।_
📕 *[शम्अे़ शबिस्ताने रज़ा, जिल्द नं 1, सफा नं 104,]* 📕
*⚘⇩ ◥◣ रहमानी इलाज ◢◤ ⇩⚘*
○✧➤ _हम यहाँ सुरअ़ते इन्ज़ाल की बीमारी से छुटकारे के लिए एक नक़्श कर रहे है। इसे लिख कर कमर में बाँध ले खुदा ने चाहा तो भर पूर ताक़त पैदा होगी और कैसी ही शहवत प्रस्त औरत क्यों न हो मर्द के मुकाबले हार जाएगी। इन्ज़ाल देर में होगा (यानी मनी देर में निकलेगी) और मर्दाना क़ुव्वत में इज़ाफ़ा होगा।_
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*⚘⇩ ◥◣ एहतलाम/नाईट फ़ाल ◢◤ ⇩⚘*
○✧➤ _एक तन्दुरूस्त मर्द को महीने में 2 या 3 बार एहतलाम हो जाए तो कोई फ़र्क़ नही पड़ता और न ही येह ही कोई बीमारी है क्यों कि जिस्म में मनी तैयार हो कर मनी के ख़ज़ाने मे जमा होती है और जब मनी ज़्यादा हो जाती है तो खुद ब खुद नींद में ख़्वाब वगै़रा के ज़रिये ज़ायेद मनी ख़ारिज़ हो जाती है। इस से कोई कमज़ोरी नही होती बल्कि येह एक सेहतमन्द की पहचान है। लेकिन जब येह एहतलाम (नाईट फ़ाल) ज़्यादा होने लगे यानी महीने में 4 से ले कर 6 बार तक तो फिर येह एहतलाम की बीमारी में दाख़िल है। ज़्यादा एहतलाम होने के कई वज़ूहात है। आम तौर पर ख़्यालात (विचारों) का गन्दा रहना, प्यार मुहब्बत की कहानियाँ पढ़ना, गन्दी फ़िल्में देखना, और हमेशा गन्दी बातें करते रहना वगै़रा जैसी वज़ूहात है जिन की वजह से एहतलाम की बीमारी हो जाती है येह बीमारी आगे चल कर बहुत ही ख़तरनाक साब़ित होती है।_
*○✧एहतियातें➤* _ऐैसे लोग जिन को एहतलाम ज़्यादा होता है उन्हें इन चीजों पर अमल करना चाहिये। इंशा अल्लाह ज़्यादा एहतलाम की परेशानी ख़त्म हो जाएगी।_
○✧➤ _मरीज को चाहिये कि पेशाब कर के वुज़ू बना कर सोए और सुबह को जल्दी उठ जाए।_
○✧➤ _दाहिनी करवट लेटने से एहतलाम कम होता है और दाहिनी करवट लेटना हमारे आक़ा ﷺ की प्यारी सुन्नत भी है।_
○✧➤ _रात का खाना सोने से 3/4 घंटे पहले ही और ज़रा कम ही खाए।_
○✧➤ _सोते वक्त़ ज़्यादा गर्म दूध न पीए। ठण्ड़ा या हलका गर्म पीए।_
○✧➤ _सोने से पहले कोई अच्छी सी दीनी माअ़लूमात वाली किताब पढ़ें।_
○✧➤ _खट्टी, तेज़, चटनी, गोश्त वगै़रा कम खाया करें।_
*⚘⇩ नुस्ख़े ⇩⚘*
○1⃣➤ _धनिया सूखा एक तोला (10 ग्राम) थोड़ा गर्म कर के रात को एक गिलास पानी में भिगो कर रखे। सुबह को छान कर दो तोला (20 ग्राम) मिशरी (गड़ी शकर) से मीठा कर के पीए।_
*⚘⇩ रहमानी इलाज ⇩⚘*
○✧➤ _जिस शख़्स को एहतलाम ज़्यादा होता हो तो उसे चाहिये कि सोते वक्त़ अपने दिल पर शहादत की उँगली से लिख लिया करे_
يا عمر فاروق أعظم
○✧➤ _इंशा अल्लाह एहतलाम से महफ़ूज रहेगा। और येह नक़्श लिख कर बाजू पर बाँधे या गले में डाले।_
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*⚘⇩ ◥◣ जिर्यान ◢◤ ⇩⚘*
○✧➤ _हमारी मौजूदा नस्ल में येह बीमारी बहुत ज़्यादा पाई जा रही है। इस बीमारी में पाख़ाना पेशाब से पहले या उस के बाद में पेशाब की नली से मनी, मज़ी, या फिर वदी निकलती है या पेशाब के बाद कभी कभी सफ़ेद रंग का धोगा सा भी निकलता है। इस बीमारी में मरीज़ को कमर में दर्द, घुटनों में तकलीफ़ और आँखों के सामने अँधेरा या फिर चक्कर से आते है। और कमज़ोरी दिन ब दिन बढ़ती जाती है, भूख नही लगती, और जो कुछ खाया जाए हज़म नही होता और बेहतरीन ग़िज़ा भी खाई जाए तो बदन को नही लगती। इस बीमारी की बहुत सी वज़ूहात है जिनमें से कुछ इस तरह है_
○✧➤ _मनी में तेज़ी आना ।_
○✧➤ _वासना (Sex) का ज़्यादा होना।_
○✧➤ _सोहबत ज़्यादा करना।_
○✧➤ _हमेशा बुखार ज़्यादा रहना।_
○✧➤ _हर वक़्त दिल व ख़्याल में सोहबत की बातें बिठाए रखना, या उसी के बारे में सोचते रहना।_
○✧➤ _कब्जीयत होना, और अपने हाथों अपनी मनी निकालना।_
○✧➤ _मर्दों से सोहबत करना, और बुरे ख़्यालात । वगै़रा।_
*⚘⇩ ◥◣ नुस्ख़े ◢◤ ⇩⚘*
○ 1⃣ ➤ _सफ़ेद राल 12 ग्राम शकर 12 ग्राम लें, दोनों को पीस कर चूर्ण बना लें। 2 ग्राम चूर्ण पानी के साथ दिन में दो बार लें।_
○ 2⃣ ➤ _धोबी के कपड़े धोने वाली मिट्टी (जिसे "रे" कहा जाता है) 60 ग्राम लें। नीम की ताज़ा पत्तियों का रस 12 ग्राम लें, इन दोनों को 180 मिली लीटर पानी में भिगो कर रात भर रखे। सुबह को छान ले और थोड़ा सा और नीम का रस मिला कर सुबह को पीलें,।_
○ 3⃣ ➤ _हल्दी और सूखा आमला दोनों बीस बीस (20) ग्राम लें। दोनों को बारीक पीस कर चूर्ण बना ले। फिर दो 2 ग्राम येह चूर्ण पानी के साथ दिन में दो बार इस्तेमाल करें।_
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*⚘⇩ ◥◣ पेशाब की जलन ◢◤ ⇩⚘*
○✧➤ _पेशाब के बाद तहारत न करने या सोहबत के बाद शर्मगाह (मर्द को लिंग और औरत को योनी को) न धोने की वजह से पेशाब में जलन होती है। ज़्यादा गर्म खाने के इस्तेमाल से भी पेशाब में जलन की शिकायत पैदा होती है। इस बीमारी के मरीज़ को पेशाब जल्दी नही होता बल्कि थोड़ा थोड़ा जलन के साथ आता है और बड़ी तकलीफ़ होती है।_
*⚘⇩ ◥◣ नुस्ख़े ◢◤ ⇩⚘*
○1⃣ ➤ _सफ़ेद संदल का बुरादा (पाउडर) 6 ग्राम, धनिया 6 ग्राम, सूखा आमला 6 ग्राम लें, इन तीनों चीजों को 120 मिली लीटर पानी में रात भर भिगो कर रखे, सुबह को छान कर इस पानी में शकर मिला कर शरबत बना लें, और इसे सुबह और दोपहर को पी लें।_
○2⃣ ➤ _खीरे का बीज 6 ग्राम, ककड़ी के बीज 6 ग्राम, दोनों को 120 मिली लीटर पानी में उबलने तक गर्म करें, फिर छान लें और इस पानी को ठण्ड़ा कर के सुबह को पी लिया करे।_
○3⃣ ➤ _एक अंडे की सफ़ेदी ले (पीलक अलग कर ले) इस सफ़ेदी को अच्छी तरह फेंट लें और एक प्याली गर्म दूध में मिला कर सुबह को पी लिया करे।_
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*⚘⇩ जनाना/औरतों की\बीमारियाँ ⇩⚘*
○✧➤ _औरतों में भी तरह तरह की जिन्सी बीमारियाँ होती है। इनका जानना ज़रूरी है, हम यहाँ चन्द बीमारियों के बारे में लिख रहे हैं।_
*⚘⇩ लीकोरिया ⇩⚘*
○✧➤ _येह बड़ी ख़तरनाक बीमारी है जो औरतों के बदन को काँटे की तरह कर देती है। इस बीमारी में औरत की शर्मगाह (योनी) से सफ़ेद पानी निकलता रहता है इस पानी के साथ उसके बदन की सारी ताक़त निकलती रहती है कभी येह बदबूदार पानी इतनी तेज़ी से और ज़्यादा आता है कि कपड़े तक भीग जाते है और पानी टख़नों तक बहता रहता है। इस बीमारी की वजह से औरत ज़्यादा परेशान रहने लगती है चिड़चिड़ापन और गुस्सा बढ़ जाता है घबराहट ज़्यादा होती है खाना हज़म नही होता पेशाब बार बार आता है दिल की धड़कन बढ़ जाती है।_
*⚘⇩ नुस्ख़े ⇩⚘*
○1⃣ ➤ _कुछ बबूल की फल्ली सुखा कर बारीक चूर्ण करे, 2 ग्राम सुबह मे और 2 ग्राम दोपहर मे पानी के साथ लें।_
○2⃣ ➤ _30 ग्राम, इमली के बीज का गुदा ले, और उसे भून ले, फिर पीस कर चूर्ण बना ले और 1 ग्राम पानी के साथ दिन में 3 बार ले।_
*⚘⇩ हैज़ की ज़्यादती ⇩⚘*
○✧➤ _इस बीमारी मे औरत का हैज़ बड़े बेढ़ंगेपन से आता है और बहुत ज़्यादा आता रहता है, इस से बदन कमज़ोर हो जाता है, नाड़ी तेज़ चलती है, प्यास बढ़ जाती है, चेहरा पीला हो जाता है, कब्ज़ रहने लगता है, भूख नही लगती, पाँव पर वरम आ जाता है। और कभी कभी चक्कर भी आते है, यहाँ तक कि कभी औरत निढ़ाल हो कर बे जान सी हो जाती है । येह बीमारी सोहबत (संम्भोग) ज़्यादा करने से होती है। और बार बार हमल के गिरते रहने से भी येह बीमारी हो जाती है।_
*⚘⇩ नुस्ख़े ⇩⚘*
○1⃣ ➤ _अनार की छाल (छिल्के) 22 ग्राम लें। इसे 250 मिली लीटर पानी में इतना उबाले कि पानी सूख कर आधा रह जाए, इस पानी को रोज़ाना सुबह पी ले।_
○2⃣ ➤ _25 ग्राम मुल्तानी मिट्टी आधा लीटर पानी में दो घंटे तक भिगोए रखे फिर उसे छान ले। रोज़ाना 125 मिली लीटर चार बार इस्तेमाल करें।_
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*⚘⇩ ◥◣ निरोध/Condom ◢◤ ⇩⚘*
*○हदीस ➤* _इमाम मालिक (रदिअल्लाहो तआला अन्हो) फ़रमाते है_
○✧➤ _कोई अपनी बीवी से अ़जल न करे मगर उसकी इज़ाज़त से"।_
📕 *[मोता शरीफ, जिल्द नं 2, बाब नं 34, हदीस नं 100, सफा नं 476,]* 📕
○✧➤ _इस से पता चला कि औरत से सोहबत से पहले अ़जल करने की या निरोध के इस्तेमाल की इज़ाज़त ज़रूरी है। इस की एक वजह येह भी है सोहबत दरअसल औरत का हक़ है और बा ज़ाहिर सोहबत वोह ही मानी जाएगी जिस में अ़जल न हो। अब चूँकि मनी शर्मगाह में गिराना नही चाहता इसलिए औरत से उसकी इज़ाज़त ले और अगर वोह अ़जल या निरोध के इस्तेमाल से इन्कार कर दे तो फिर अ़जल या निरोध का इस्तेमाल नही कर सकता।_
○✧➤ _जैसा कि आप ने पढ़ा अ़जल ना जाइज़ नही वही ऐैसी अहादीसे पाक भी मिलती है जिस से येह मअ़लूम होता है कि अ़जल बे कार और ना पसंदीदा काम है। सरकार ﷺ ने अ़जल से मना न फ़रमाया लेकिन इसे अच्छा भी नही समझा और ना ही पसंद फ़रमाया है बल्कि आप ने ज़्यादा औलादें पैदा करने की मुसलमानों को तअ़लीम फ़रमाई।_ (इस का बयान आगे आएगा)
*○हदीस ➤* _हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने मसऊद (रदिअल्लाहो तआला अन्हो) से अ़जल के बारे में पूछा गया तो आप ने फ़रमाया_
○✧➤ _रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया----"अगर अल्लाह तआला ने किसी चीज़ के ज़हूर का अहद किया तो पत्थर में छुपी छुपाई है तो वोह ज़रूर निकल के रहेगी"।_
📕 *[मुस्नदे इमामे आज़म, बाब नं 127, सफा नं 222,]* 📕
○✧➤ _इस अहादीसे मुबारका से मअ़लूम हुआ कि अ़जल से कोई फ़ायदा नही_
*○हदीस ➤* _हज़रत अनस (रदिअल्लाहो तआला अन्हो) से रिवायत है कि आप ने फ़रमाया_
○✧➤ _अगर तू उस पानी को जिस से बच्चा पैदा होता है किसी चट्टान पर डाल दें तो अल्लाह तआला चाहे तो उस से भी बच्चा पैदा कर देगा। [इमाम अहमद]_
*○हदीस ➤* _हज़रत अबू सईद ख़ुदरी (रदिअल्लाहो तआला अन्हो) से रिवायत है कि"हमें कुछ कैदी औरतें हाथ आई जिन्हें गुलाम बना लिया गया तो हम उन से अ़जल किया करते थे हम ने अ़जल करने के बारे में रसूलुल्लाह ﷺ से पूछा तो आप ने तीन मरतबा इरशाद फ़रमाया_
○✧➤ _तुम अ़जल करते हो ! ऐैसी रूह नही जो क़ियामत तक आने वाली हो मगर वोह ज़रूर आकर रहेगी"।_
📕 *[बुखारी शरीफ, जिल्द नं 3, बाब नं 126, हदीस नं 194, सफा नं 101,--मोता शरीफ, जिल्द नं 2, बाब नं 34, हदीस नं 475,-- तिर्मिज़ी शरीफ, जिल्द नं 1, बाब नं 774, हदीस नं 1135, सफा नं 583,-- अबूूदाऊद शरीफ, जिल्द नं 2, बाब नं 126, हदीस नं 403, सफा नं 153,-- इब्ने माज़ा शरीफ, जिल्द नं 1, बाब नं 539, हदीस नं 618, सफा नं 1995,]* 📕
*○हदीस ➤* _हज़रत इमाम नाफे (रदिअल्लाहो तआला अन्हो) से रिवायत है कि_
○✧➤ _हज़रत अब्दुल्लाह बिन ऊमर (रदिअल्लाहो तआला अन्हो) अ़जल नही किया करते थे और अ़जल को ना पसन्द फ़रमाते थे"।_
📕 *[मोता शरीफ, जिल्द नं 2, बाब नं 34, हदीस नं 98, सफा नं 475,]* 📕
○✧➤ _चुनान्चे इन हदीसो से साबित होता है कि अ़जल और (इस जमाने मे निरोध कापर-टी माला-डी का इस्तेमाल) बे फ़ुजूल बेकार व ना पसंदीदा काम है। ऐसे बहुत से वाक़िअ़ात का सुबूत मिलता है कि बच्चा पैदा न हो उसे रोकने के लिए लोगों की सारी अहतियातें, और तदबीरे धरी की धरी रह गई और हमल ठहर गया और बच्चा भी पैदा हुआ।_
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*○हदीस ➤* _एक शख़्स हुज़ूर ﷺ की ख़ितमत में हाज़िर हुआ और अर्ज किया "या रसूलुल्लाह ﷺ ! मेरी एक ख़ादेमा (कनीज़) है जिस से मै अ़जल करता हूँ मै नही चाहता कि वोह हामेला रहे"। आप ने फ़रमाया "तू चाहे तो अ़जल कर ले अगर तक़दीर में है तो खुद ब खुद बच्चा पैदा होगा"। फिर वोह शख़्स कुछ अर्से के बाद हाज़िर हुआ और अर्ज कि या "रसूलुल्लाह ﷺ ! उसे तो बच्चा पैदा हो गया"। आप ने फ़रमाया "मैं ने तो कह दिया था कि जो कुछ उस के मुकद्दर में है वोह उस को ज़रूर मिलेगा"।_
📕 *[अबूूदाऊद शरीफ, जिल्द नं 2, बाब नं 126, हदीस नं 406, सफा नं 154, मिश्क़ात शरीफ, जिल्द नं 2, हदीस नं 3047, सफा नं 88,]* 📕
○✧➤ _इस से पता चला कि अगर तक़दीर में बच्चे लिखे हुए है तो इन्सान कितना भी चाहे दुनिया में आने से नही रोक सकता।_
○✧➤ _हकीमों ने लिखा है कि मर्द की मनी के एक क़तरे में हजारों बच्चा पैदा करने वाले कीड़े होते है जो मर्द के ऊज़ू-ए-तनासुल (लिंग) से चिम्टे रह जाते है और मर्द इन्ज़ाल करने के बाद फिर सोहबत कर लेते है दूसरी बार सोहबत के दौरान मनी न भी निकले तो वोह पहले सोहबत करते वक्त़ के वोह कीड़े जो मर्द के ऊज़ू-ए-तनासुल से चिम्टे हुए होते है औरत की शर्मगाह मे लग जाते है और इस तरह भी न चाहते हुए हमल ठहर जाता है और इन्सान की सारी कोशिशें बेकार साबित होती है। लिहाजा बेहतर येह है कि निरोध का इस्तेमाल न करे यही अफ़जल है।_
*○हदीस ➤* _मुस्लिम शरीफ की एक हदीस में है कि रसूले अकरम ﷺ ने इरशाद फ़रमाया_
○✧➤ _अ़जल करना एक छोटी क़िस्म का बच्चे को ज़िन्दा ज़मीन में गाड़ देना है"।_
📕 *[मुस्लिम शरीफ ब हवाला मिश्क़ात शरीफ, जिल्द नं 2, हदीस नं 3051, सफा नं 89,.. इब्ने माज़ा शरीफ, जिल्द नं 1, बाब नं 649, हदीस नं 2082, सफा नं 560,]* 📕
*○मसअ़ला ➤* _आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खाँ (रदिअल्लाहो तआला अन्हो) "फ़तावा-ए-रज़वीया" में इरशाद फरमाते है_
○✧➤ _ऐैसी दवा का इस्तेमाल जिस से हमल न होने पाए अगर किसी शदीद शरीअ़त में क़ाबिले क़ुबूल ज़रूरत के सबब हो तो हर्ज नही वरना सख़्त बुरा व ना पसंदीदा है"।_
📕 *[फ़तावा-ए-रज़वीया, जिल्द नं 9, निस्फ आख़िर सफा नं 298,]* 📕
○✧➤ _हकीमों ने लिखा है कि हमल न ठहरे इस के लिए सबसे ज़्यादा आसान तरीका येह है कि औरत के हैज़ (माहवारी) के शुरू होने से एक हफ़्ते पहले और हैज़ से औरत जिस दिन से पाक़ हो जाए उस के बाद एक हफ़्ते तक, इस दौरान सोहबत करने से हमल नही ठहरता और येह दिन महफ़ूज होते हैं क्योंकि इन दिनों में (यानी हैज़ शुरू होने से एक हफ़्ते पहले और हैज़ के बाद एक हफ़्ते तक) औरत के जिस्म में बैज़ा बच्चा पैदा करने वाले अंडे (OVA) नही होते। जिस की वजह से बच्चा पैदा न होने के ज़्यादा इम्कानात (Chances) होते हैं। (वल्लाहो आलम)_
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*⚘⇩ ◥◣ औलाद के क़ातिल ◢◤ ⇩⚘*
○✧➤ _बच्चे की पैदाइश रोकने के लिए मर्द का नस बन्दी करना और औरत का ऑपरेशन (Operations) कर लेना, या ऐैसी दवा का इस्तेमाल करना जिस से बच्चों की पैदाइश हमेशा के लिए बन्द हो जाए इस्लाम में सख़्त ना जाइज़ व हराम सख़्त गुनाह है।_
○✧➤ _आज कल लोगों में येह ख़्याल हैज़े की बीमारी की तरह फैल रहा है कि ज़्यादा बच्चे होंगे तो खाने पीने की कमी होगी, खर्च बढ़ेंगे वगै़रा वगै़रा। आहा!अफ़सोस मुसलमानों का अब रब तआला की ज़ात पर से भरोसा नही यक़ीनन येह किसी मुसलमान का अ़कीदाह नही हो सकता। भला इन्सान की औक़ात ही क्या है कि वोह किसी को खिलाए और पाले। बेशक हक़ीक़त में हमें पालने और खिलाने वाला अल्लाह तआला ही है। क्या आप ने नही देखा कि इन्सान अपनी सारी तदबीरे मुकम्मल कर लेता है लेकिन चन्द दिनों का क़हेत (आकाल, Famine) इन्सान को भुखमरी पर मज़बूर कर देता है। इसी तरह कभी कभी ज़्यादा बारिश भी इन्सान के किए कराए पर पानी फेर देती है और कुछ हाथ नही आता। तो मअ़लूम हुआ हक़ीक़त मे खिलाने वाला सिर्फ़ अल्लाह है।_
*○क़ुरआन ➤* _रब तआला इरशाद फ़रमाता है_
وَمَا مِنْ دَابَّةٍ فِي الْأَرْضِ إِلَّا عَلَى اللَّهِ رِزْقُهَا
*○तर्जुमा ➤* _और ज़मीन पर चलने वाला कोई ऐसा नही जिस का रिज़्क अल्लाह के ज़िम्मे करम पर न हो।_
📕 *[तर्जुमा :- कन्जुल ईमान शरीफ, पारा 12, सूरए हूद, आयत नं 6,]* 📕
*○क़ुरआन ➤* _और एक दूसरी जगह इरशाद फ़रमाता है_
وَلَا تَقۡتُلُوۡۤا اَوۡلَادَكُمۡ خَشۡيَةَ اِمۡلَاقٍؕ نَحۡنُ نَرۡزُقُهُمۡ وَاِيَّاكُمۡؕ اِنَّ قَتۡلَهُمۡ كَانَ خِطۡاً كَبِيۡرًا
*○तर्जुमा ➤* _और अपनी औलाद को क़त्ल न करो मुफ़लिसी के डर से हम उन्हे भी रोज़ी देंगे और तुम्हें भी बेशक क़त्ल बड़ी ख़ता है।_
📕 *[तर्जुमा :- कन्जुल ईमान शरीफ, पारा 12, सूरए बनी इसराइल, आयत नं 31,]* 📕
○✧➤ _लिहाजा मअ़लूम हुआ नस बन्दी या ऑपरेशन कराना सख़्त जहालत और गुमराहियत है इस से बचना चाहिये।_
*○हदीस ➤* _हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद (रदिअल्लाहो तआला अन्हो) ने फ़रमाया"मै ने हुज़ूरﷺ से अ़र्ज़ किया या रसूलुल्लाहﷺ ! कौन सा गुनाह सबसे बड़ा है ?? फ़रमाया-----"तू अल्लाह का किसी को शरीक ठहराए हालाँकि उसने तुझे पैदा किया है"। अर्ज कि फिर कौन सा"?? फ़रमाया कि "तू अपनी औलाद को इस डर से क़त्ल करे के वोह तेरे साथ खाएगी"।_
📕 *[बुखारी शरीफ, जिल्द नं 3, बाब नं 576, हदीस नं 939, सफा नं 345,]* 📕
○✧➤ _देखा आपने औलाद को क़त्ल करना कितना बड़ा गुनाह है। काश मुसलमानों को समझ आ जाए और वोह इस क़त्ल गीरी से बचें।_
○✧➤ _हदीसे मुबारका में है कि हुज़ूर ﷺ को बच्चों से बहुत प्यार था और आप ने ज़्यादा बच्चे पैदा करने को पसंद फ़रमाया।_
*○हदीस ➤* _फ़रमाते है आक़ा ﷺ निकाह करो क्योंकि मै बरोज़े क़ियामत तुम्हारे ज़्यादा होने पर दूसरी उम्मतों के मुकाबले में फख़्र करूँगा"।_
📕 *[मुस्नदे इमामे आज़म, बाब नं 117, सफा नं 208,]* 📕
*○हदीस ➤* _सैय्यदना इमाम ग़ज़ाली (रदिअल्लाहो तआला अन्हो) फ़रमाते है कि हुज़ूरﷺ ने इरशाद फ़रमाया_
○✧➤ _औलाद की ख़ुशबू जन्नत की ख़ुशबू है"।_
📕 *[मुका़शेफातुल क़ुलूब, सफा नं 315,]* 📕
○✧➤ _इस बारे में बहुत सी हदीसे है हक़ पसंद के लिए इस क़द्र ही काफ़ी।_
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*⚘⇩ ◥◣ एक्स-रे-या सोनु ग्राफ़ी ◢◤ ⇩⚘*
○✧➤ _अक्सर लोग अपने आप को माड्रन (Modern) और तरक्की याफ़्ता कहेलवाना ज़्यादा पसन्द करते है लेकिन यही लोग अपनी हरकतों के एतबार से आज से साढ़े चौदह सौ (1450) साल पहले के अ़रब के जाहिलो से भी बढ़ कर जाहिल, बल्कि उन से कुछ मामलों में ज़्यादा ही बढ़े हुए नज़र आते हैं। अ़रब में हुज़ूर ﷺ के पैदाइश से पहले "ज़माने जाहिलियत" में वहां के क़ाफ़िर अपनी लड़कियों को जिन्दा ज़मीन में गाड़ देते थे और लड़कों की परवरिश बड़े लाड़ प्यार से करते थे। बस वही काम आज कल के कुछ पढ़े लिखे कहलाने वाले माड्रन (Modern) जाहिल कर रहे हैं। यानी आज कल एक्स-रे (X-Rays) सोनु ग्राफ़ी के जरिये ये मअ़लूम कर लेते है कि औरत के पेट मे लड़का है या लड़की अगर लड़की हो तो उसे खत्म कर दिया जाता है। यानी हमल गिरा देते है और अगर लड़का हो तो उसे बड़ी खुशी के साथ जन्ते है।_
○✧➤ _आह ! किस कदर ज़ालिम है वोह औरतें जो नन्ही सी जान को दुनिया में आने से पहले ही मौत की नींद सुला देती है उन औरतों पर अल्लाह की सैकड़ों लअ़नते जो खुद एक औरत होकर अपने ही जैसी एक जिन्स (एक लड़की) को क़त्ल करती है। मुसलमानों होश में आऔ क्या येह जमाने जाहिलियत के क़ाफ़िरों व मुश'रिकों की पैरवी नही है?? क्या येह एक साफ़ खुला क़त्ल नही है ?? ऐैसी औरतें यक़ीनन माँ के नाम पर एक बदनुमा दाग है जो अपने पेट मे परवान चढ़ रही औलाद को सिर्फ़ इस बात की सज़ा देती है वोह एक लड़की है। क्या वोह एक लम्हे के लिए भी येह सोचने के लिए तैयार नही कि वोह भी तो पहले अपनी माँ के पेट मे थी अगर उस की माँ उसे पेट मे ही खत्म कर देती जिस तरह आज वोह बड़ी आसानी से अपने पेट की औलाद को क़त्ल कर रही है तो क्या आज वोह इस दुनिया में मौजूद होती।_
*○हदीस ➤* _सहाबी-ए-रसूल हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास (रदिअल्लाहो तआला अन्हो) अपनी मशहूर किताब "अलअसरा ऊल मे'राज" मे नक़्ल फ़रमाते है कि हुज़ूर ﷺ ने इरशाद फ़रमाया_
○✧➤ _(जब मेै सफरे मे'राज पर गया और मै ने ज़हन्नम को देखा तो)" मै ने झाड़ो से लटकती हुई औरतें देखी के उन पर खौलता हुआ गर्म पानी डाला जाता तो उन का गोश्त झुलस जाता (और टुकड़ों में गिर पड़ता) मै ने पूछा "अए जिब्रील (अलेहिस्सलाम) येह कौन औरतें है ?? तो उन्हों ने बताया"या रसूलुल्लाह ﷺ ! येह वोह औरतें है जो अपनी औलाद के खाने पीने और उन की देख रेख के खौफ़ की वजह से दवाएँ पी कर अपनी औलाद को मार डालती थी"। (वल्लाहो आलम)_
📕 *[अलअसरा ऊल मे'राज (उर्दू) सफा नं 23]* 📕
*○हदीस ➤* _हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने मसऊद (रदिअल्लाहो तआला अन्हो) रिवायत करते है कि अल्लाह के रसूल ﷺ ने इरशाद फ़रमाया_
○✧➤ _सबसे बड़ा गुनाह येह है कि अल्लाह को किसी का शरीक ठहराए फिर उसके बाद का गुनाह येह है कि अपनी औलाद को खाने पीने के खौफ़ से क़त्ल किया जाए"।_
📕 *[बुखारी शरीफ, जिल्द नं 3, बाब नं 576, हदीस नं 939, सफा नं 345,]* 📕
*○रिवायत ➤* _एक रिवायत मे है कि बरोज़े क़ियामत जब हिसाब किताब होगा तो कुछ ऐसे माँ बाप भी होंगे जिन के आमाल अच्छे होंगे लिहाजा उन्हें जन्नत मे जाने का हुक़्म दिया जाएगा। जब वोह लोग जन्नत की तरफ जा रहे होंगे तभी कुछ सर कटे बच्चे वहाँ पहुँचेगें जिन के सिर्फ़ धड़ होंगे सर न होंगे उन के धड़ो से आवाज आएगी। "अए रब्बुल इज़्ज़त ! हमे इन्साफ़ चाहिये" ! रब तआला इरशाद फरमाएगा "हाँ कहो आज इन्साफ़ का ही दिन है" वोह अर्ज करेंगे अए अल्लाह येह जन्नत मे जाने वाले लोग हमारे माँ बाप है और हमें इन से तकलीफ़ पहुँची है"। वोह माँ बाप हैरत से कहेंगे तुम्हें तो हम जानते भी नही तुम हमारी औलाद कैसे हो सकते हो"। वोह सर कटे बच्चे जवाब देंगे "हाँ तुम हमें पहचान भी नही सकते क्योंकि तुम ने हमें देखा ही नही हम वही हैं जिन्हें तुम ने दुनिया में आने से पहले ही मार डाला था और हमल गिरा कर हमारी येह हालत कर दी"। अल्लाह तआला इरशाद फ़रमाएगा कहो तुम क्या चाहते हो वोह कहेंगे "अए हमारे रब ! भला वोह लोग जन्नत मे कैसे जा सकते है जिन्होंने हमें इस हाल को पहुँचाया ! चुनान्चे हुक़्मे रब्बी होगा इन्हें (माँ, बाप को) ज़हन्नम में डाल दो और इन बच्चों को दुरुस्त कर के जन्नत मे दाख़िल कर दो_
○✧➤ _इन हदीसो से और इस रिवायत से वोह फैशन प्रस्त औरतें ईबरत हासिल करे जो जान बूझकर हमल गिरा देती है। हाँ, हाँ! अभी तो यहाँ अपनी मन मानी कर लो लेकिन याद रहे इन्साफ़ ज़रूर होगा और ऐैसी अ़दालत में जहाँ न कोई रिश्वत काम आएगी और न ही किसी वकील की बहेस, यक़ीनन वोह एक ऐैसी वाहिद_
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*⚘⇩ औलाद होने के लिए अ़मल ⇩⚘*
○✧➤ _जैसा कि हम पहले ही बयान कर चुके है कि हुज़ूरﷺ को बच्चों से बहुत मुहब्बत थी और आप ने बच्चे पैदा करने को पसंद फ़रमाया। लेकिन अफ़सोस आज कल ज़्यादा तर औरतें बच्चे पैदा करने से कतराती है कुछ बेवकूफ़ औरतों का ख़्याल है कि बच्चा पैदा करने से औरत की ख़ूबसूरती ख़त्म हो जाती है और वोह मोटी भद्दी और बद सूरत हो जाती है ! येह सब जहालत की बातें और शैतानी वसवसे हैं।_
*○हदीस ➤* _उम्मुलमोमेनीन हज़रत आएशा सिद्दीक़ा (रदिअल्लाहो तआला अन्हा) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह ﷺ ने इरशाद फ़रमाया_
○✧➤ _जो हामला (पेट वाली) औरतें हमल की तकलीफ़ को बर्दाश्त करती है उसे अल्लाह की राह में जिहाद करने वाला सवाब मिलता है और जब उसे बच्चा पैदा होने का दर्द होता है तो हर दर्द के बदले उस को एक गुलाम आज़ाद करने का सवाब दिया जाता है"।_
📕 *[गुन्यतुत्तालिबीन, बाब नं 5, सफा नं 113,]* 📕
*○हदीस ➤* _रसूलुल्लाह ﷺ ने इरशाद फ़रमाया काली बच्चे देने वाली मुझ को ज़्यादा पसन्द है खूबसूरत बांझ से।_
📕 *[मुस्नदे इमामे आज़म, बाब नं 120, सफा नं 211, कीम्या-ए-सआ़दत,]*
*○हदीस ➤* _इमाम ग़ज़ाली (रदिअल्लाहो तआला अन्हो) फ़रमाते है कि हुज़ूरे अक़दस ﷺ ने इरशाद फ़रमाया_
○✧➤ _औलाद की ख़ुशबू जन्नत की ख़ुशबू है"।_
📕 *[मुका़शेफातुल क़ुलूब, सफा नं 515,]* 📕
○✧➤ _इस हदीस से येह साबित होता है कि जो बच्चे पैदा करने को अ़येब समझते है वोह जन्नत की ख़ुशबू से महरूम है"।_
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*⚘⇩ औलाद न होने की वज़ूहात ⇩⚘*
○✧➤ _कुछ लोगों को औलाद नही होती इस की बहुत सी वज़ूहात हो सकती है मसलन_
○✧➤ _अल्लाह तआला की मर्जी येही है कि औलाद न हो। चुनान्चे इस बात के सुबूत में येह दलील सबसे ज़्यादा अहम होगी कि हुज़ूरे अकरमﷺ की कुल ग्यारह (11) बीवीयां थी लेकिन आप को औलाद सिर्फ़ दो बीवीयों से हुई बाकी बीवीयों से आप को कोई औलाद न हो सकी, अल्लाह तआला की मर्जी यही थी। येह नही की माज़अल्लाह हुज़ूर की दूसरी बीवीयों में कोई नुक़्स था और न ही माज़अल्लाह सरकार में।_
*○हदीस ➤* _हज़रत इमाम अबूल फ़ज़ल क़ाज़ी अय्याज़ (रदिअल्लाहो तआला अन्हो) अपनी सनद के साथ हज़रत अनस (रदिअल्लाहो तआला अन्हो) से रिवायत करते है_
○✧➤ _हुज़ूरﷺ को क़ुव्वते मर्दाना तीस मर्दों के बराबर अता की गई थी। और हज़रत इमाम ताऊस (रदिअल्लाहो तआला अन्हो) से मरवी है कि हुज़ूरﷺ को चालीस मर्दों की ताकत अता फ़रमाई गई थी"।_
📕 *[शिफ़ा शरीफ, जिल्द नं 1, बाब नं 2, फ़सल नं 8, सफा नं 155,]* 📕
○✧➤ _लिहाजा इन तमाम बातों से येह साबित होता है कि औलाद से नवाज़ने वाला हक़ीक़त में अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ही है वोह जिसे चाहे अ़ता करता है और जिसे न चाहे अ़ता नही करता। उसके अ़ता करने में और महरूम रखने में कई हिक़मते हैं जिसे वही सबसे बेहतर जानता है। अगर वोह देना चाहे तो कोई उसे रोक नही सकता चुनान्चे हज़रत इब्राहीम (अलेहिस्सलाम) व हज़रत सारा (रदिअल्लाहो तआला अन्हा) को जब अल्लाह तआला ने बेटेे (हज़रत इस्हाक़ अलेहिस्सलास) से नवाज़ा तो हज़रत इब्राहीम (अलेहिस्सलाम) की उम्र 120, साल और हज़रत सारा की उम्र 99 साल थी।_
○✧➤ _बच्चे न होने की वजह येह भी हो सकती है कि मर्द की मनी में बच्चे पैदा करने वाले कीड़े ही न हो या कमज़ोर हो।_
○✧➤ _बचपन या जवानी की गलतियों की वजह से ना मर्द हो चुका हो।_
○✧➤ _औरत बान्झ हो यानी उसकी बच्चेदानी में औलाद पैदा करने वाले अंडे (OVA) न हो।_
○✧➤ _औरत की बच्चेदानी का मुँह बन्द हो।_
○✧➤ _इस तरह की कई वज़ूहात हो सकती है जिस की वजह से औलाद की पैदाइश में रुकावट हो सकती है।_
○✧➤ _अगर मियाँ बीवी दोनों ही सेहतमन्द हो तो दो (2) के अन्दर पहला हमल करार पा जाता है। अक्सर घरों में जब 4 या 5 साल गुजर जाने पर भी औरत को हमल नही ठहरता तो घर की बूढ़ी औरतें औरत को बान्झ समझने लगती है।_
○✧➤ _कोई भी औरत हो अगर उसे शुरू ही से हैज़ (माहवारी) का खून हर महीने मुक़र्रर तारीख़ (Fix period) पर बगै़र तकलीफ़ के आता है और कम से कम तीन दिन और ज़्यादा से ज़्यादा दस दिन तक जारी रहता है तो ऐैसी औरत को बान्झ नही कहा जा सकता । बच्चा न होने की वजह कोई दूसरी हो सकती है इस लिए अल्लाह से औलाद के लिए दुआ़ करे और मर्द व औरत दोनों अपना चेक अप (मुआ़एना) कराएं और इलाज की तरफ़ रूख़ करें। हम यहाँ चन्द वज़ीफ़े नक़्ल कर रहे हैं जो आसान भी है और इन्शाअल्लाह इसकी बरक़त से घर में खुशियाँ भी आएगी।_
*○हदीस ➤* _हज़रत मौला अली (रदिअल्लाहो तआला अन्हो) रिवायत करते है_
○✧➤ _एक शख़्स रसूले खुदा ﷺ की ख़ितमत में आया और अर्ज किया या रसूलुल्लाहﷺ ! मेरे घर में औलाद नही होती" हुज़ूरे अकरमﷺ ने इरशाद फ़रमाया तो अंडे खाया कर"।_
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*⚘⇩ ◥◣ औलाद होगी या नहीं ◢◤ ⇩⚘*
○✧➤ _अक्सर बे औलाद, औलाद की ख़्वाहिश मे बड़ी बड़ी रकमे बरबाद कर देते है इस लिए दवाओं पर रूपये लगाने से पहले इम्तिहान ज़रूरी है। इस के लिए हम यहाँ एक अमल लिख रहे है जिससे इन्शाअल्लाह पता चल जाएगा कि औलाद किस्मत में है या नही।_
*○अमल ➤* _औरत को चाहिए कि जुमेरात को रोज़ा इफ्तार के वक्त़ इतना दूध ले, जो पेट भर कर पी सके, फिर सात (7) बार सूरए "मुज़म्मिल" पढ़े। बेहतर येह है कि औरत खुद पढ़े अगर सही न पढ़ सके तो किसी आलिम या हाफ़िज़ से पढ़वा कर दूध पर दम करवाए फिर इसी दूध से रोज़ा इफ्तार करे।_
○✧➤ _अगर दूध हज़म हो जाए तो इन्शाअल्लाह औलाद होगी। और अगर दूध हज़म न हुआ तो (अल्लाह न करे) फिर सब्र करे। यानी औलाद न होगी। लेकिन फिर भी अल्लाह चाहे तो अ़ता फ़रमा सकता है, अल्लाह की कुदरत से मायूस न हो कि मायूसी मुसलमान का काम नही।_
📕 *[शम्अ़ शबिस्ताने रज़ा, जिल्द नं 1, सफा नं 31,]* 📕
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*○अमल~1 ➤* _जिस औरत को औलाद न होती हो या हमल न ठहरता हो तो चाहिये कि वोह सात दिन लगातार रोज़े रखे और इफ्तार के वक्त़ एक गिलास पानी लेकर "अल मुसव्विरो الْمُصَوِِّرُ" इक्कीस (21) बार पढ़ कर पानी पर दम करे और उसी पानी से इफ्तार करे। इन्शाअल्लाह अल्लाह सात रोज़ न गुजरने पाएगें कि हमल रह जाएगा और फ़रजन्द (लड़का) पैदा होगा।_
📕 *[वज़ाइफ़े रज़वीया, सफा नं 214,]* 📕
*○अमल~2 ➤* _जो कोई अपनी बीवी से सोहबत से पहले "اَلْمُتَكَبِِّرُ अलमुता कब्बिरो" दस (10) बार पढ़े।_
📕 *[वज़ाइफ़े रज़वीया, सफा नं, 214,]* 📕
*○अमल~3 ➤* _अच्छी क़िस्म का एक अनार ले कर उस के चार टुकड़े करे हर टुकड़े पर "सूरए यासीन शरीफ" पढ़े और उस पर दम करता जाए। उस के बाद पाव भर किशमिश और पाव भर भूने हुए चने ले कर फ़ातिहा दे, फिर उसे बच्चों में तक़सीम कर दे, और अनार का एक टुकड़ा मर्द खाए और एक औरत खाए रात को सोहबत करे, सुबह बचे हुए वोह दो टुकड़े दोनों मर्द और औरत खा ले और गुस्ल करके नमाज़े फ़ज़र अदा करे।_
*📕[शम्अे शबिस्ताने रज़ा सफा नं 30]*📕
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*⚘⇩ इंशाअल्लाह लड़का ही होंगा ⇩⚘*
⚘○ ➤ अगर किसी औरत को सिर्फ़ लड़कियाँ ही लड़कियाँ पैदा होती हो तो उस हालत में लड़के की ख़्वाहिश और ज़्यादा बढ़ जाती है फिर कुछ लोग ऐसी हालत में लड़के के लिए रूपये पानी की तरह बहा देते है यहाँ तक कि कुछ कम अक़्ल जादू टोने और गन्दे इलाज से भी बाज़ नही आते।
⚘○ ➤ हम यहाँ चन्द ऐसे अ़मल लिख रहे है जो जाइज़ और फ़ायदेमन्द व सौ फीसद कामयाब है। इन्शाअल्लाह इससे फ़ायदा ज़रूर होगा। लेकिन याद रहे येह अ़मल जब ही करे जब लड़का न हो और बहुत ज़्यादा लड़कियाँ हो।
⚘अमल ○ 1⃣ ➤ कच्चे सूती धागे के सात (7) तार ले फिर हर तार औरत की पेशानी के बाल से पाँव की उँगली तक नाप ले अब सातों धागों को मिला कर उन पर ग्यारह (11) बार *"आयतलकुर्सी"* इस तरह पढ़े कि हर एक बार एक गिठान लगाता जाए और दम करता जाए ग्यारह गिठान बाँधने के बाद इन धागों को औरत की कमर पर बान्ध दे। जब तक बच्चा पैदा न हो जाए हरगिज़ न खोले यहाँ तक कि ग़ुस्ल के वक्त़ भी जुदा न करे जब हमल जाहिर तो घर की पकाई हुई सफ़ेद मीठी चीज़ पर जैसे सफ़ेद मीठा हलवा, पेड़े वगै़रा पर हुज़ूर सैय्यदना ग़ौसे आज़म व हज़रत शेख़ मुहम्मद अफ़ज़ल कानपुरी, और सैय्यदना आला हज़रत (रदिअल्लाहो तआला अन्हुम) की फ़ातिहा दिलाए और दो रकअ़त नफिल नमाज़ अदा करे। फिर खड़े हो कर बग़दाद शरीफ़ की तरफ मुँह करके दुआ करे-------"या हुज़ूर गौ़से आज़म ! मुझे लड़का हुआ तो हुज़ूर की (यानी गौ़से पाक की) गुलामी में दे दूंगा और उस का नाम गुलाम मोहियुद्दीन रखूंगा"। इस के बाद यक़ीन रखे कि लड़का ही होगा। इन्शाअल्लाह तआला जब लड़का हो तो वोह धागा माँ की कमर से खोल कर बच्चे के गले में डाले। बच्चे की हर सालगिरह पर एक रूपया एक डिब्बे में डालते रहे जब बच्चा 11 साल का हो जाए तो इन 11 रुपयों की शीरनी या इस में जितना चाहे और रूपये डाल कर नियाज दिलाए और उस धागे को किसी महफ़ूज जगह दफन कर दे।..✍
📬 *शम्अे शबिस्ताने रज़ा, सफा नं 26, 📚*
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⚘अमल ○ 2⃣ ➤ _हज़रत अबू सुएब हरानी ने इमाम अ़ता (रदिअल्लाहो तआला अन्हो) से (जो इमामे आज़म अबू हनीफ़ा के उस्ताद हैं) रिवायत किया है_
⚘○ ➤ _जो चाहे उस की औरत के हमल में लड़का हो तो उसे चाहिये कि अपना हाथ अपनी औरत के पेट पर रख कर कहे_
ان کَانَ ذکراً فَکَدْ سَمّيَتُهْ مُحَمَّداً
*⚘○ तर्जुमा ➤* _अगर लड़का है तो मै ने उस का नाम "मुहम्मद" रखा।_
⚘○ ➤ जब लड़का पैदा हो जाए तो उस का नाम "मुहम्मद" रखे
📬 *[अहकामे शरीअ़त, जिल्द नं 3, सफा नं 83,]* 📚
⚘अमल ○ 3⃣ ➤ _हामला (हमल वाली औरत) के पेट पर सुबह के वक्त़ उसका शौहर ऊन्नीस (19) मरतबा "अलमुबदीओ اَلمُبْدِئُ शहादत (सीधे हाथ के अँगूठे से लगी हुई पहली उँगली) से लिखे तो बफ़ज़लेहि तआला हमल गिरने का खौफ़ जाता रहेगा। और जिसका हमल देर तक रहे यानी महीने से (थोड़ा) सा ज़्यादा गुज़ार जाए तो उस औरत के पेट पर लिखने से जल्द लड़का पैदा होगा।_
📬 *[वज़ाइफ़े रज़वीया, सफा नं 220,]* 📚
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⚘○अ़मल 1⃣ ➤ _अगर किसी औरत के कच्चे हमल गिर जाते है तो कुछ काली मिर्च और अजवाइन ले फिर और उस पर सत्तर (70) बार_
ثُمَّ خَلَقْنَا النُّطْفَةَ عَلَقَةً فَخَلَقْنَا الْعَلَقَةَ مُضْغَةً فَخَلَقْنَا الْمُضْغَةَ عِظَامًا فَكَسَوْنَا الْعِظَامَ لَحْمًا ثُمَّ أَنْشَأْنَاهُ خَلْقًا آخَرَ ۚ فَتَبَارَكَ اللَّهُ أَحْسَنُ الْخَالِقِينَ
*📬 [सूरए मोमेनून, पारा 18, आयत 14,]📚*
⚘○➤ _पढ़े फिर "सूरए काफ़ेरून" और "सूरए मुज़म्मिल" सात बार और "सूरए अलम नशरह" 11 बार पढ़े अब उन काली मिर्च और अजवाइन पर दम करे। सात दाने काली मिर्च और थोड़ी अजवाइन औरत को खिलाए जब तक बच्चा पैदा न हो उस वक्त़ तक हर रोज़ येह काली मिर्च और अजवाइन खाते रहे। इन्शाअल्लाह बच्चा सही सलामत पैदा होगा।_
📬 *[शम्अे शबिस्ताने रज़ा, जिल्द नं 1, सफा नं 33,]* 📚
⚘○अ़मल 2⃣ ➤ _सात धागे कच्चे लाल रंग के ले और औरत के कद के बराबर उन धागों को कर लें फिर उस पर गिठाने लगाता जाए हर गिठान पर येह आयते करीमा_
وَاصْبِرْ وَمَا صَبْرُكَ إِلَّا بِاللَّهِ ۚ وَلَا تَحْزَنْ عَلَيْهِمْ وَلَا تَكُ فِي ضَيْقٍ مِّمَّا يَمْكُرُونَ إِنَّ اللَّهَ مَعَ الَّذِينَ اتَّقَوا وَّالَّذِينَ هُم مُّحْسِنُونَ
📬 *[सूरए नहल, आयत 127,]* 📚
⚘○➤ _पढ़ कर दम करे इस तरह नव (9) गिठाने बान्धे (इस तरह येह आयत नव मरतबा पढ़ी जाएगी) उस के बाद पेट पर येह धागा बान्ध ले। बच्चा पैदा होने से कुछ घन्टो पहले येह खोल दे।_
*📬 क़ौलुल जमील, सफा नं 146, शम्अे शबिस्ताने रज़ा, जिल्द नं 2, सफा नं 54 📚*
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*⚘⇩ हमल के दौरान अच्छे काम ⇩⚘*
⚘○ ➤ _जब औरत हमल (पेट) से हो तो उसे चाहिये कि उन दिनों बेहूदा़, फुज़ूल बातों, झूठ, ग़ीबत वगै़रा से बिल्ख़ुसूस बचे। अच्छी दीनी ग़ुफ्तगू करे, खाने पीने पर ज़्यादा ध्यान दें ऐसी ग़िज़ाएँ (खाने) इस्तेमाल करें जो ताक़त पहुँचाने वाली हो। ज़्यादा से ज़्यादा खुश रहे नमाज़ की पाबन्दी रखे क़ुरआने करीम की तिलावत ज़्यादा से ज़्यादा करते रहें, जिस क़द्र हो सके खूब खूब दुरूद शरीफ़ पढ़े। इन सब बातों का बच्चे पर बड़ा असर पड़ता है।_
⚘○ ➤ _हुज़ूर ग़ौसे आज़म (रदिअल्लाहो तआला अन्हो) का वाक़िअ़ इस बात की दलील है कि "हुज़ूर गौ़से पाक जब अपनी माँ के शिकमे मुबारक (पेट) मे थे तो वोह काम काज करते करते कुरआने करीम की आयते पढ़ती रहती थी आप अपनी वालिदा (माँ) के पेट में ही सुन कर याद कर लिया करते रहते थे। जब आप की वालिदा 14 पारे पढ़ चुकी थी तब ही आप की विलादत (पैदाईश) हो गई। चुनान्चे आप 14 पारों के माँ के पेट से ही हाफ़िज़ थे बाकी बचे हुए पारेें आप ने बाद में उस्ताद से पढ़े। येह हमारे गौ़से आ़ज़म की अदना सी करामत है। वैसे तो आज कल ऐैसी करामत का होना मुश्किल नज़र आता है लेकिन इस वाक़िअ़ में हमारे लिए सबक़ ज़रूर है कि माँ को चाहिये कि फ़रमांबरदार, नेक और परहेज़गार औलाद हासिल करने के लिए खुद भी नेक बने। क्योंकि माँ की नेकी का औलाद पर बड़ा असर पड़ता है। (वल्लाहो आलम_..✍
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*⚘⇩ हमल के दौरान सोहबत करना ⇩⚘*
⚘○ ➤ _औरत जब हमल से हो तो उस हालत में सोहबत करना शरीअ़ते इस्लामी की रू से मना नही है और इस पर कोई गुनाह भी नही लेकिन हकीमों के नज़दीक सोहबत न करना बेहतर है कि सोहबत करने से नये हमल के ठहरने का ख़तरा होता है।_
*⚘○ हदीस ➤* _इमामे आज़म अबू हनीफ़ा (रदिअल्लाहो तआला अन्हो) अपनी मुस्नद में हज़रत इब्ने उमर (रदिअल्लाहो तआला अन्हो) से रिवायत करते है रसूलुल्लाहﷺ ने मना फ़रमाया हामला (पेट वाली) औरतों से सोहबत की जाए जब तक कि वोह जन न लें अपने पेटों के बच्चे"।_
📬 *[मुस्नदे इमाम आज़म, बाब नं 131, सफा नं 227,]* 📚
⚘○ ➤ _इन हामला औरतों से मुराद जिहाद में कैद की गई कनीज़े है क्योंकि इमामे आज़म से दूसरे तरीक़ से रिवायत है जिस में *حُبَالٰی* के साथ من *السبی* की भी क़ैद क़ैद है जिस से साबित होता है कि इससे मुराद कैद की गई औरतें है येह हुक़्म अपनी बीवी के लिए नही है (यानी अपनी हामला बीवी से सोहबत कर सकता है) । ओलमा-ए-किराम फ़रमाते है कि "वोह औरत जिसका हमल जिना से हो उस से सोहबत जाइज़ नही (हाँ जिसका शौहर खुद जानी हो उसे सोहबत करने में हर्ज नही) बच्चा पैदा होने के बाद जब तक बच्चा दूध पीता है उन दिनों तक हकीम हज़रात सोहबत करने से मना करते है। उनके नज़दीक दूध पीते बच्चे की मौजूदगी में बीवी से सोहबत करने से बच्चे को नुकसान है। वोह इस तरह की बच्चा जन्ने के बाद अगर औरत से सोहबत की जाए तो औरत का दूध खराब हो जाता है जिस को पीने से बच्चे की सेहत पर असर पड़ता है।_
⚘○ ➤ _शरीअ़त भी हमें ऐैसी बातें इख़्तियार करने की हिदायत करती है जो हमारे लिए ही फ़ायदेमन्द हो और उन बातों से मना करती है जिस में हमारे लिए नुकसान हो।_
*⚘○ हदीस ➤* _हुज़ूरﷺ ने इरशाद फ़रमाया पोशीदा (छुपे) तौर पर अपनी औलाद को क़त्ल न करो क़सम है उस ज़ात की जिसके क़बज़े में मेरी जान है दूध पिलाने के वक्त़ में बीवी से सोहबत करना सवार को घोड़े की पीठ पर से गिरा देता है"।_
📬 *[अबूूदाऊद शरीफ, जिल्द नं 3, बाब नं 198, हदीस नं 484, सफा नं 172, इब्ने माज़ा शरीफ, जिल्द नं 1, बाब नं 649, हदीस नं 2083, सफा नं 560,]* 📚
⚘○ ➤ _तहक़ीक येह है कि दूध पिलाने के दौरान औरत से सोहबत करना जाइज़ है और इस हदीस में हुज़ूरﷺ ने नसिहतन मना फ़रमाया है आप का येह इरशाद ना जाइज़ या मुमानियत के दरजे में नहीं।_
⚘○ ➤ _इसलिए भी कि अगर औरत के दूध पिलाने की वजह से सोहबत करना ना जाइज़ कर दिया जाता तो मर्दों को इससे तकलीफ़ होती क्योंकि औरत बच्चे को आम तौर पर दो (2) साल तक दूध पिलाती है और मर्द का दो (2) साल अपने आप को औरत से रोकना मुश्किल होता। लिहाजा शरीअ़त ने इसे ना जाइज़ न कहा और सोहबत की इज़ाज़त दी (जैसा कि "इब्ने माज़ा" व "मिश्क़ात शरीफ" की दूसरी एक और हदीस से जाहिर है वोह हदीस येह है_
*⚘○ हदीस ➤* _नबी-ए-करीमﷺ फ़रमाते है मैंने इरादा किया था कि दूध पिलाने वाली औरत से सोहबत करने से मना कर दूँ लेकिन फ़ारसी और रूमी भी इस ज़माने मे अपनी बीवीयों से सोहबत करते हैं तो उनकी औलाद का कोई नुक़सान नहीं पहुँचता।_
📬 *[इब्ने माज़ा शरीफ, जिल्द नं 1, बाब नं 649, हदीस नं 2082, सफा नं 560, मिश्क़ात शरीफ, जिल्द नं 2, हदीस नं 3051, सफा नं 88,]* 📚
⚘○ ➤ _लेकिन बेहतर येह है कि उन दिनों बार बार सोहबत न करे और न ही ज़्यादा सोहबत करे। (वल्लाहो आलम_..✍
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*⚘⇩ आसानी से विलादत के लिए ⇩⚘*
⚘○ ➤ _जब औरत के बच्चा जन्ने का वक्त़ क़रीब आता है तो उसे दर्द होता है। कभी कभी किसी औरत को इस क़दर ज़्यादा दर्द होता है कि औरत उसे बर्दाश्त नही कर पाती है और औरत का इन्तेक़ाल भी हो जाता है (अल्लाह महफ़ूज रखे) कुछ औरतों का बच्चा आधा अन्दर आधा बाहर ही अटक जाता है फिर उसे सही सलामत जिन्दा निकाल पाना डॉक्टरों के लिए बहुत मुश्किल हो जाता है और औरत व बच्चे दोनों की जान पर बन आती है। कई बार औरत को दर्द होता रहता है लेकिन बच्चा बाहर नही आता जिसे ऑपरेशन (Operation) करके निकालना पड़ता है। हम यहाँ चन्द ऐैसे अ़मल नक़्ल कर रहे हैं जिनको इस्तेमाल में लाने से इन्शाअल्लाह आसानी से बच्चे की पैदाइश होगी।_
*⚘○ अमल 1⃣ ➤* _जब औरत को दर्द शुरू हो तो "मोहरे नुबुवत" और "नाअ़लैन शरीफ" (हुज़ूरﷺ की जूतियों) के अक्स (तस्वीर) के बारीक तअ़वीज़ औरत मुट्ठी में दाब ले या फिर बाज़ू पर बान्ध ले। इन्शाअल्लाह 5 मिनट में बच्चा पैदा होगा।_
📬 *[शम्अे शबिस्ताने रज़ा, जिल्द नं 1, सफा नं 34,]* 📚
*⚘○ अमल 2⃣ ➤* _जब औरत को बच्चा पैदा होने के वक्त़ ज़्यादा दर्द हो रहा हो और विलादत (जन्ने) में इन्तेहाई परेशानी हो रही हो तो चाहिये कि येह नक़्श ज़अ़फ़रान से लिख कर मोम जमा कर के औरत की रान पर बान्ध दिया जाए और जैसे ही बच्चा पैदा हो जाए। खोल देना चाहिये। इन्शाअल्लाह इस नक़्श की बरक़त से तकलीफ़ ख़त्म हो जाएगी। वोह नक़्श येह है_
_येह नक़्श पोस्ट के नीचे स्क्रीनशाट में नीचे भेज दिया जाएगा। (इंशा अल्लाह)_
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*⚘○ अमल 3⃣ ➤* _जिस औरत को बच्चा जन्ने पर दर्द आना शुरू हो जाए (यानी बच्चा पैदा होने का दर्द तकलीफ़ दे) तो किसी पाक कागज़ पर येह आयत लिखे_
وَأَلْقَتْ مَا فِيهَا وَتَخَلَّتْ• وَأَذِنَتْ لِرَبِّهَا وَحُقَّتْ•اِهْيًااَشْرَاهِيًا
⚘○➤ _और उस कागज़ को पाक कपड़े में लपेटे और औरत की बाएँ रान पर बान्धे। इन्शाअल्लाह जल्द बच्चा पैदा होगा।_..✍
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*⚘⇩ बच्चे की पैदाइश ⇩⚘*
⚘○ ➤ _जब बच्चा पैदा हो जाए तो उसे पहले गुस्ल दे फिर उस के बाद नाल काटी जाए और जिस क़दर जल्दी हो सके उस के दाहिने (सीधे) कान में अज़ान और बांए (उल्टे) कान में तकबीर कही जाए। चाहे घर का कोई आदमी ही अज़ान और तकबीर कह दे या कोई आलिमे दीन या फिर मस्जिद का इमाम कहे। हदीस शरीफ मे है जो शख़्स ऐैसा करे तो बच्चा बचपन की बीमारियों से महफ़ूज रहेगा फिर अपनी गोद में बच्चे को लिटा कर खज़ूर या शहद वगै़रा कोई भी मीठी चीज़ अपने मुँह में चबा कर या घुला कर उँगली से उस के मुँह में तालू से लगा दे कि वोह चाट ले।_
⚘○ ➤ _कोशिश येह की जाए कि बच्चे को पहली घुटटी (खज़ूर, शहद या कोई भी मीठी चीज़ वगै़रा) कोई नेक आदमी अपने मुँह में चबा कर अपनी जुबान से पहुँचाए और सबसे पहले जो गिज़ा बच्चे के मुँह में पहुँचे वोह खुर्मा हो और किसी बुज़ुर्ग के मुँह का लुआ़ब (झूठा) कि "तफ़सीरे रूहुल बयान" में है कि बच्चे में पहली घुटटी देने वाले का असर आता है और उसके जैसी आदतें पैदा होती है। और येह सुन्नत भी है।_
⚘○ ➤ _हदीसे मुबारका में है कि;सहाब-ए-किराम, अपने बच्चों की पैदाइश पर हुज़ूरे अक़दस ﷺ के पास लाते थे और सरकार अपना लुआ़बे दहन (थूक मुबारक) या दहने मुबारक की कोई चीज़ बच्चे के मुँह में डाल देते।_..✍
*📬 हिस्ने हसीन, सफा नं 166, फ़तावा-ए-रज़वीया, जिल्द नं 9, सफा नं 46, इस्लामी जिन्दगी 11 📚*
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*⚘⇩ निफ़ास का बयान ⇩⚘*
⚘○ ➤ _वोह खून जो औरत को बच्चा जन्ने के बाद आता है उसे निफ़ास का खून कहते है। खून आने की कम से कम मुद्दत मुक़र्रर नही आधे से ज़्यादा बच्चा निकलने के बाद एक लम्हे (पल) के लिए भी खून आया तो वोह निफ़ास है। ज़्यादा से ज़्यादा निफ़ास का जमाना चालीस (40) दिन, रात है। चालीस दिन, रात के बाद जो खून आए वोह निफ़ास नही वोह इस्तेहाज़ा है।_
*⚘○ मसअ़ला ➤* _निफ़ास की गिनती उस वक्त़ से होगी जब बच्चा आधे से ज़्यादा निकल आया। बच्चा पैदा होने के बाद जिस वक्त़ खून बन्द हो जाए अगर चालीस दिनों के अन्दर फिर न आए तो उसी वक्त़ से औरत पाक हो जाती है। मसलन सिर्फ़ एक मिनट भर खून आया फिर न आया तो बच्चा पैदा होने के उसी एक मिनट तक ना पाकी थी फिर पाक हो गई नहा के नमाज़ पढ़े (अगर रमजान हो तो) रोज़े रखे फिर अगर चालीस दिनों के अन्दर खून न आया तो येह नमाज़ रोज़े सही हो गए और अगर फिर आ गया तो नमाज़ रोज़े फिर छोड़ दे। अब पूरे चालीस दिन या उस से कम पर जा कर बन्द हुआ तो बच्चे की पैदाइश से उस वक्त़ तक सब दिन निफ़ास के समझे जाएंगे वोह नमाज़े जो पढ़ी बेकार हो गई (लेकिन नमाज़ो की कज़ा नही) और फ़र्ज़ रोज़े थे तो कज़ा रखे जाएंगे_
📬 *[फ़तावा-ए-रज़वीया, जिल्द नं 9, निस्फ़ आख़िर, सफा नं 153,]* 📚
*⚘○ मसअ़ला ➤* _अगर किसी को चालीस दिन से ज़्यादा खून आया तो अगर उस को पहली बार बच्चा पैदा हुआ है तो चालीस दिन निफ़ास के और उस के बाद के इस्तेहाज़ा के है। अगर किसी औरत को तीस दिन की आ़दत थी (यानी इससे पहले वाले बच्चे की पैदाइश पर तीस दिन खून आया था) लेकिन इस बार चालीस दिन, रात आया तो तीस दिन निफ़ास के समझे और बाकी दस दिन इस्तेहाज़ा के है।_
*⚘○ मसअ़ला ➤* _बच्चा पैदा होने से पहले जो खून आया वोह निफ़ास नही इस्तेहाज़ा है। हमल गिरने से पहले कुछ खून आया कुछ हमल गिरने के बाद तो हमल गिरने से पहले का खून इस्तेहाज़ा है और हमल गिरने के बाद का खून निफ़ास है। लेकिन जब कि बच्चे का कोई ऊज़ू (जिस्म का कोई हिस्सा) बन चुका हो वरना पहले वाला हैज़ हो सकता है तो हैज़ है नही तो इस्तेहाज़ा है।_
*⚘○ मसअ़ला ➤* _चालीस दिन के अन्दर कभी खून आया कभी नही तो सब निफ़ास ही है चाहे पंद्रह (15) दिनों का फ़ासला (Gap) हो जाए।_
*⚘○ मसअ़ला ➤* _निफ़ास के खून का रंग लाल, काला, हरा, पीला, मिट्टी के रंग जैसा गदेला (कीचड़ के रंग जैसा) वगै़रा भी हो सकता है।_
*⚘○ मसअ़ला ➤* _निफ़ास वाली औरत को नमाज़ पढ़ना, रोज़ा रखना हराम है। इन दिनों नमाज़ मुआ़फ है और उन की कज़ा भी नही। अलबत्ता फ़र्ज़ रोज़ों की कज़ा और दिनों में रखना फ़र्ज़ है। इसी तरह निफ़ास वाली औरत को कुरआने करीम पढ़ना देख कर हो या जुबानी और इसका छूना चाहे उस के हाशिये को उँगली की नोक या बदन का कोई हिस्सा ही लगे। येह सब हराम है इसी तरह दीनी किताबों का छूना भी हराम है। कुरआन शरीफ के अलावा तमाम वज़ीफ़े दुरूद शरीफ, कलमा शरीफ, वगै़रा पढ़ने में कोई हर्ज नही।_
*⚘○ मसअ़ला ➤* _हालते हैज़ (माहवारी) में जिस तरह सोहबत करना हराम है उसी तरह इस में भी (यानी हालते निफ़ास में भी) सख़्त हराम और गुनाहे-कबीरा है। लेकिन निफ़ास वाली औरत के साथ खाने पीने और बोसा (चुम्मन) लेने में हर्ज नही। (वल्लाहो आलम)_..✍
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*⚘⇩ लड़की के लिए नाराज़गी क्यों ⇩⚘*
⚘○ ➤ _कुछ लोग लड़कियों को अपने ऊपर बोझ समझते हैं और लड़कियों को हक़ीर व जलील जानते है येह बात इस्लामी तअ़लीमीत के सरासर ख़िलाफ़ है।_
⚘○ ➤ _लड़की हो या लड़का दोनो का पैदा करने वाला अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ही है। लड़की भी रब तआला की अज़ीम नेअ़मत है। इसे खुशी खुशी क़ुबुल करना चाहिये। हदीस पाक में है_
*⚘○ हदीस ➤* _हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास (रदिअल्लाहो तआला अन्हो) से रिवायत है कि हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया जिसे लड़की हो फिर वोह उसे जिन्दा दफ़न न करे, न उस को ज़लील समझे, और न लड़के को उस पर अहमियत दे तो अल्लाह तआला उस को जन्नत में दाख़िल करेगा।_
📬 *[अबूूदाऊद शरीफ, जिल्द नं 3, बाब नं 548, हदीस नं 1705, सफा नं 616,]* 📚
*⚘○ ➤* _इस हदीस से मअ़लूम हुआ कि बेटे को बेटी से ज़्यादा अहमियत देना मना है बल्कि दोनों के साथ बराबरी का सुलूक करना चाहिये।_
*⚘○ हदीस ➤* _हज़रत अनस (रदिअल्लाहो तआला अन्हो) से रिवायत है कि हुज़ूरे अकरमﷺ ने इरशाद फ़रमाया जिस ने दो लड़कियों की परवरिश किया यहाँ तक कि वोह बालिग़ हो गई तो मै और वोह क़ियामत के दिन इस तरह क़रीब होंगे" फिर आप ने अपनी दो उँगलियों को मिला कर बताया।_
📬 *[मुस्लिम शरीफ]* 📚
*⚘○ हदीस ➤* _एक दूसरी हदीस मे है कि हुज़ूरﷺ फ़रमाते है जिस ने अपनी एक भी लड़की या बहेन की परवरिश की और उसे श़रई आदाब सिखाया उन से प्यार मुहब्बत से पेश आया और फिर उन की शादी कर दी तो अल्लाह तआला उसे ज़रूर जन्नत में दाख़िल करेगा"।_
📬 *[अबूूदाऊद शरीफ, जिल्द नं 3, बाब नं 578, हदीस नं 1706, सफा नं 617, कीम्या-ए-सआ़दत, सफा नं 267,]* 📚
*⚘○ हदीस ➤* _बुखारी व तिर्मिज़ी शरीफ, की एक हदीस में है जो लोग बच्चियों को प्यार व मुहब्बत से परवरिश करेंगे तो वोह बच्चियां उन के लिए ज़हन्नम से आड़ बन जाएगा"।_
📬 *[बुखारी शरीफ, तिर्मिज़ी शरीफ, जिल्द नं 1, बाब नं 1279, हदीस नं 1980, सफा नं 901,]* 📚
*⚘○ हदीस ➤* _रसूलुल्लाह ﷺ के इन इरशादात से मअ़लूम हुआ कि लड़कियों से मुहब्बत करना और उन को पालना, फिर उन की शादी कर देना बड़े सवाब का काम है और रसूले पाक से क़रीब होने का ज़रिया है।_..✍
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*⚘⇩ कुछ रश्में ⇩⚘*
⚘○ ➤ _बच्चे की पैदाइश के मौके पर अलग अलग मुल्कों में तरह तरह की रस्में है मगर चन्द रस्में ऐसी है जो तक़रीबन किसी क़दर थोड़े फ़र्क़ से हर जगह पायी जाती है। जैसे_
⚘○ ➤ _लड़का पैदा हुआ तो छे रोज़ तक खूब खुशियाँ मनाई जाती है औरतें मिल कर ढ़ोल बजाती है येह सब हराम है। खुशी मनाने की शरीअ़त मे मनाही नही है लेकिन ख़िलाफ़े सरअ़ काम करने से ज़रूर बचना चाहिये।_
⚘○ ➤ _पैदाइश के दिन लड्डू या कोई मिठाई तक़सीम करना सदक़ा ख़ैरात करना कारे सवाब है मगर बिरादरी के डर से और नाक कटने के ख़ौफ़ से मिठाई तक़सीम करना बे फ़ायदा है और अगर सूद पर क़र्ज़ लेकर येह काम किया तो आ़ख़िरत का गुनाह भी। इस लिए इन रस्मों को बन्द करना चाहिए।_
⚘○ ➤ _एक रस्म येह भी है कि औरत के मैके के लोग अपने दामाद को अईर कराते है जिसमें कपड़े के जोड़े, बच्चों को झूला और कुछ नकदी रूपये व जे़वर देते है। अक्सर देखा गया है कि मालदार लोग येह सब ख़र्च बर्दाश्त कर लेते है लेकिन ग़रीब लोग इन रस्मों को पूरा करने के लिए सूद पर क़र्ज़ लेते है अगर बच्चा पैदा होने पर किसी औरत के मैके वाले येह रस्में पूरी न करें तो सास व नन्दो के ताने सहने पड़ते हैं और घर में खाना जंगी शुरू हो जाती है लिहाजा ज़रूरी व बेहतर है कि इन रस्मों को मुसलमान छोड़े ताकि फ़ुजूल ख़र्ची से भी बचा जा सके और ना इत्तेफ़ाक़ियों का दरवाजा भी बंद हो जाए।_
⚘○ ➤ _आम तौर पर लोग अ़क़ीक़ा नही करते बल्कि "छटटी" करते है। छटटी येह कि बच्चे की पैदाइश के छठे रोज़ रात को औरतें जमा हो कर मिल कर गाती बजाती है फिर बच्चा को बाहर ला कर तारे दिखा कर गाती है फिर मीठे चावल तक़सीम किए जाते है येह भी मशहूर है कि औरत का पहला बच्चा उसके मैके में ही पैदा हो और सारा ख़र्च औरत के माँ बाप बर्दाश्त करें अगर वोह ऐसा न करे तो सख़्त बदनामी होती है।_
⚘○ ➤ _छटटी करना, और दीगर इस तरह की रस्में जो हमने ऊपर बयान की वोह ख़ालिस हिन्दुओं की रस्में है जो उन्होंने अक़ीक़े के मुकाबले में ईज़ाद की है।_
⚘○ ➤ _लड़की लड़के का अ़क़ीक़ा करना सुन्नत है और सुन्नत इबाद़त है और इसी तरह हुज़ूरﷺ से साबित है अपनी तरफ से इसमें रस्में दाखिल करना फ़ुजूल है लिहाजा बेहतर है कि मुसलमान इन रस्मों को छोड़ कर अल्लाह और उसके रसूल की ख़ुशनूदी हासिल करे।_
⚘○ ➤ _अगर बच्चे की पैदाइश पर मीलाद शरीफ, या वअ़ज़ शरीफ, या फ़ातिहा कर दी जाए तो बहुत अच्छा है इसके सिवा तमाम रूसुमात बंद कर देना चाहिये। (वल्लाहो आलम)_..✍
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*⚘⇩ ख़तना ⇩⚘*
⚘○ ➤ _लड़को का ख़तना करना सुन्नत है और येह इस्लाम की अ़लामत है मुस्लिम व गै़र मुस्लिम में इससे फ़र्क़ होता है। रसूले खुदाﷺ ने फ़रमाया "हज़रत इब्राहीम अलेहिस्सलाम ने अपनी ख़तना किया तो उस वक्त़ उन की उम्र शरीफ अस्सी (80) बरस थी"।_
⚘○ ➤ _ख़तना का सुन्नत तरीक़ा येह है कि बच्चा जब सात (7) साल का हो जाए उस वक्त़ ख़तना करा दिया जाए ख़तना कराने की उम्र सात (7) साल से लेकर बारह (12) बरस तक है। यानी बारह (12) बरस से ज़्यादा देर लगाना मना है और अगर सात साल से पहले ख़तना कर दिया जाए तो कोई हर्ज नही। ख़तना कराना बाप का काम है, वोह न हो तो फिर दादा, मामू, चाचा कराए।_
⚘○ ➤ _ख़तना करने से पहले नाई की उजरत तय होना ज़रूरी है जो कि उस को ख़तना के बाद दी जाए इलाज में ख़ास निगरानी रखी जाए तजुर्बेकार नाई से ख़तना कराया जाए।_
⚘○ ➤ _ख़तना सिर्फ़ इसी काम का ही नाम है बाकी येह धूमधाम से बारात निकालना, रिश्तेदारों को फ़ुजूल में कपड़ों के जोड़े देना, गाने बाजे और लाइटिंग वगै़रा सब फ़ुजूल काम है और फ़ुजूल ख़र्ची इस्लाम में हराम है येह सब मुसलमानों की कमज़ोर नाक ने पैदा कर दिये है जिसे बचाने के लिए क़र्ज़ तक लेते है। और क़र्ज़ बन कर बाद को परेशानी मोल लेते है। लिहाजा इन सब चीजों को बंद किया जाए।_
*⚘○ आयत ➤* _अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त इरशाद फरमाता है_
وَلَا تُبَذِّرْ تَبْذِيرًا إِنَّ الْمُبَذِّرِينَ كَانُوا إِخْوَانَ الشَّيَاطِينِ
*⚘○ तर्जुमा ➤* _और फ़ुजूल ना उड़ा, बे शक उड़ाने वाले शैतानों के भाई है।_
📬 *[तर्जुमा :- कन्जुल ईमान, पारा 15, बनी इस्राईल, आयत नं 26,]* 📚
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*⚘⇩ अ़क़ीक़ा ⇩⚘*
*⚘○ मसअ़ला ➤* _बच्चा पैदा होने के बाद अल्लाह के शुक्र में जो जानवर ज़बह किया जाता है उसे अ़क़ीक़ा कहते हैं। अ़क़ीक़ा करना सुन्नत है। सुन्नत तरीक़ा येह है कि बच्चे की पैदाइश के सातवें (7) रोज़ अ़क़ीक़ा हो और अगर न हो सके तो पंद्रहवें (15) दिन या इक्कीसवें (21) रोज़ या जब भी हैसियत हो करे सुन्नत अदा हो जाएगी।_
📬 *[कानूने शरीअ़त, जिल्द नं 1, सफा नं 160, इस्लामी जिन्दगी, सफा नं 17,]* 📚
*⚘○ मसअ़ला ➤* _लड़के के लिए दो बक़रे और लड़की के लिए एक बकरी जब़ह करे। लड़के के लिए बकरा और लड़की के लिए बकरी जब़ह करना बेहतर है अगर लड़का लड़की दोनों के लिए बकरा या बकरी जब़ह करे तो भी हर्ज नहीं।_
📬 *[कानूने शरीअ़त, जिल्द नं 1, सफा नं 160,]* 📚
*⚘○ मसअ़ला ➤* _लड़के के लिए दो बकरे न हो सके तो एक बकरे में भी अ़क़ीक़ा कर सकते है। इसी तरह अगर गाय, भैंस जब़ह करे तो लड़के के लिए दो हिस्से और लड़की के लिए एक हिस्सा हो। अक़ीक़े के जानवर के लिए भी वही शर्तें है जो कुर्बानी के जानवर के लिए ज़रूरी है।_
📬 *[कानूने शरीअ़त, जिल्द नं 1, सफा नं 160,]* 📚
*⚘○ मसअ़ला ➤* _अक़ीक़े के जानवर के तीन हिस्से किए जाए। एक हिस्सा ग़रीबों को ख़ेैरात कर दें दूसरा हिस्सा दोस्त व रिश्तेदारों में तक़सीम करे और तीसरा हिस्सा खुद रखे।_
📬 *[इस्लामी ज़िन्दगी, सफा नं 17,]* 📚
*⚘○ मसअ़ला ➤* _अक़ीक़े का गोश्त ग़रीबों फ़कीरों, दोस्त व रिश्तेदारों को कच्चा तक़सीम करे या पका कर दे या फिर दावत कर के खिला दे सब सूरतें जाइज़ है।_
📬 *[कानूने शरीअ़त, सफा नं 1, सफा नं 160,]* 📚
*⚘○ मसअ़ला ➤* _अक़ीक़े का गोश्त माँ, बाप, दादा, दादी, नाना, नानी वगै़रा सब खा सकते हैं। अक़ीक़े के जानवर की खाल अपने काम में लाए, ग़रीबों को दे या मदरसा या मस्जिद में दें। यानी इस खाल का भी वही हुक़्म है जो क़ुरबानी की खाल का हुक़्म है।_
📬 *[कानूने शरीअ़त, जिल्द नं 1, सफा नं 160,]* 📚
*⚘○ मसअ़ला ➤* _बेहतर है कि अक़ीक़े के जानवर की हड्डियां तोड़ी न जाए बल्कि जोड़ों से अलग कर दी जाए और गोश्त वगै़रा खा कर ज़मीन में दफन कर दी जाए।_
📬 *[कीम्या-ए-सआ़दत, सफा नं 267, इस्लामी जिन्दगी, सफा नं 17,]* 📚
*⚘○ मसअ़ला ➤* _नेक फै'ल के लिए हड्डी न तोड़ना बेहतर है और तोड़ना भी ना जाइज़ नही।_
📬 *[कानूने शरीअ़त, जिल्द नं 1, सफा नं 160,]* 📚
*⚘○ मसअ़ला ➤* _अक़ीक़े में बच्चे के सिर के बाल मुंडवाए और उसके बालों के वजन के बराबर चाँदी या (हैसियत हो तो) सोना सदक़ा करे।_
📬 *[कीम्या-ए-सआ़दत, सफा नं 267,]* 📚
*⚘○ हदीस ➤* _इमाम मुहम्मद बाक़र (रदिअल्लाहो तआला अन्हो) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह ﷺ की साहबज़ादी हज़रत फा़तमा ने हज़रत इमाम हसन, इमाम हुसैन, हज़रत जैनब और हज़रत उम्मे क़ुलसूम (रदिअल्लाहो तआला अन्हुमा) के बाल उतरवा कर उन के वजन के बराबर चाँदी ख़ेैरात फ़रमाई।_
📬 *[मोता इमाम मालिक, जिल्द नं 1, बाब किताबुल अ़क़ीक़ा, हदीस नं 2, सफा नं 402,]* 📚
*⚘○ मसअ़ला ➤* _अ़क़ीक़ा फ़र्ज़ या वाज़िब नही है सिर्फ़ सुन्नते मुस्तेहबा है ग़रीब आदमी को हरगिज़ जाइज़ नही कि सूद पर क़र्ज़ ले कर अ़क़ीक़ा करे क़र्ज़ ले कर तो जक़ात भी देना जाइज़ नही अ़क़ीक़ा जक़ात से बढ़ कर नही।_
📬 *[इस्लामी ज़िन्दगी, सफा नं 18,]* 📚
*⚘○ नोट ➤* _अक़ीक़े के जानवर को जब़ह करते वक्त़ की दुआएं बहुत से मसाइल की किताबों में आई है लिहाजा वोह दुआएं वही देखे।_..✍
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*⚘⇩ कान नाक छेदाना ⇩⚘*
⚘○ ➤ _लड़कियों के कान नाक छिदवाने में कोई हर्ज नही इसलिए कि हुज़ूर ﷺ के जमाने जाहिरी में भी औरतें कान छिदवाती थी और हुज़ूर ने इससे मना नही फ़रमाया।_
📬 *[फ़तावा-ए-रज़वीया, जिल्द नं 9, निस्फ अव्वल, सफा नं 57, कानूने शरीअ़त, जिल्द नं 1, सफा नं 213,]* 📚
⚘○ ➤ _एक रिवायत में है कि सबसे पहले नाक कान हज़रत सारा (रदिअल्लाहो तआला अन्हा) ने हज़रत हाजरा (रदिअल्लाहो तआला अन्हा) के छेदे थे। हज़रत सारा व हज़रत हाजरा हज़रत इब्राहीम अलेहिस्सलाम की बीवीयां थी। जब से ही औरतों मे कान नाक छिदवाने का रिवाज चला आ रहा है। (वल्लाहो आलम)_
⚘○ ➤ _कुछ लोग किसी मन्नत के लिए या फिर फिरंगी फ़ैशन के लिए लड़कों के कान छेद देते हैं। येह सख़्त ना जाइज़ व हराम व सख़्त गुनाह है और ऐसी मन्नत की शरीअ़त में कोई हैसियत नही, यक़ीनन अल्लाह व रसूल इस से नाराज होते है। इसलिए मुसलमानों को इससे बचना चाहिये।_
*⚘⇩ काला टीका लगाना ⇩⚘*
⚘○ ➤ _हमारा आप का मुशाहिदा है कि घर की औरतें अपने छोटे बच्चों को किसी कालख, काजल, या सुरमे वगै़रा से उनके गाल पर काला टीका (छोटा सा नुक़्ता) लगाती है ताकि किसी की बुरी नज़र न लगे। येह बेअस्ल बात नही है नज़र का लगना हदीस से साबित है यानी बुरी नज़र लगती है। चुनान्चे हदीसे पाक में है कि_
*⚘○ हदीस ➤*_रसूलुल्लाह ﷺ इरशाद फ़रमाते है नज़र का लगना ठीक है अगर कोई चीज़ तक़दीर पर ग़ालिब होती है तो नज़र ग़ालिब होती है।"_
📬 *[मोता शरीफ, जिल्द नं 1, बाब किताबुल ऐैन, हदीस नं 3, सफा नं 782, कौलुल जमील, सफा नं 150,]* 📚
*⚘○ हदीस ➤* _एक रिवायत में है कि हज़रत ऊसमाने ग़नी (रदिअल्लाहो तआला अन्हो) ने एक खूबसूरत बच्चे को देखा तो फ़रमाया इसकी थुड्डी में काला टीका लगा दो कि इससे नज़र न लगे"।_
📬 *[कौलुल जमील, सफा नं 153,]* 📚
*⚘○ हदीस ➤* _"तिर्मिज़ी शरीफ" की एक रिवायत से साबित है कि काला टीका लगाना बच्चों को बुरी नज़र से बचाता है। (वल्लाहो आलम)_..✍
*📮 ✐°°•..नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू..⛘*
*तालिब ए दुआ उम्मते मुहम्मदिया ﷺ*
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