✊ फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा



🌷★الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ★🌷

اَلۡـحَـمۡـدُ  لِـلّٰـہِ  رَبِّ  الۡـعٰـلَـمِیۡنَ    وَ الـصَّـلٰـوۃُ   وَ  الـسَّـلَامُ  عَـلٰی سَـیِّـدِ  الۡـمُـرۡ سَـلِـیۡنَ اَمَّـا بَــعۡـدُ فَـاَعُـوۡذُ   بِـا لـلّٰـہِ   مِـنَ الـشَّـیۡـطٰنِ الـرَّجِیۡمِ ؕ   بِـسۡمِ  الـلّٰـہِ  الـرَّحۡـمٰنِ الـرَّحِـیۡمِؕ

🌷📖 ✧➤ KiTaB Padhne ki Du’a Deeni KiTaB Ya IsLami SaBaQ PadHne Se pehLe Ye Mayne Di Hui Du’a parh Lijiye اِنْ شَــآءَالـلّٰـه عَزَّوَجَلَّ jo kucH Padhenge Yaad RaHega Du’a Ye hain..★↷

اَللّٰهُمَّ افۡتَحۡ عَلَيۡنَا حِكۡمَتَكَ وَانۡشُرۡ عَلَيۡنَا رَحۡمَتَكَ يَـا ذَا الۡجَلَالِ وَالۡاِكۡرَام

⚘ Tarjuma ❁☞ Ay Allah عَزَّوَجَلَّ! عَزَّوَجَلَّ Hum per ‘Ilm-o-HikmaT ke Darwazay khoL De aur Hum par apni rahmaT Nazil farma Ay AzmaT aur Buzurgi waLe

*📬 AL-Mustatraf, jiLd. 1, page 40 📚*


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*फैज़ाने  आइशा  सिद्दीक़ा  रादिअल्लाहु  अन्हा*

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           *⚘ बरकाते  दुरुदो  सलाम ⚘*                          
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⚘❈☞ उम्मुल मुअमिनिन हज़रते आइशा सिद्दीक़ाرضي الله تعالي عنها फरमाती है। में वक़्ते आहार कुछ सी रही थी कि मेरे हाथ से सुई गिर गई और चराग बुझ गया। इतने में हुज़ूरﷺ तशरीफ़ ले आए, आप के चेहरए ज़ियारत के अनवार से सारा कमरा जगमगा उठा और सुई मिल गई।

⚘❈☞  मेने अर्ज़ की या रसूलल्लाह ﷺ आप का चेहरए अनवर कितना रोशन है। तो आप ने इरशाद फ़रमाया  ऐ आइशा ! हलाकत है उस के लिये जो बरोज़े क़यामत मुझे न देखेगा। मेने अर्ज़ की बरोज़े क़यामत आप की ज़ियारत से कौन महरूम रहेगा ? इरशाद फ़रमाया बखिल। मेने पूछा या रसूलल्लाह ﷺ बखिल कौन है ?

⚘❈☞  इरशाद फ़रमाया जो मेरा नाम सुन कर मुझ पर दुरुदे पाक न पढ़े।..✍

 *📬 फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा, सफ़ह 11 📚*

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 *⚘ फ़ज़ाइले आइशा पर मुश्तीमल 7 रिवायात ⚘*                            
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⚘1⃣ ☞ एक रोज़ रसुले खुदाﷺ ने हज़रते सय्यि-दतुना अइशा सिद्दीकाرضي الله تعالي عنها से फ़रमायाः ऐ आइशा ! येह जिब्रईल हैं ,तुम्हें सलाम कहते हैं।

*✍फज़ल आईशा, 842,हदीस :388📕*

⚘2⃣ ☞ हज़रते सय्यिदुना जिब्रईल सब्ज रेशमी कपड़े में हज़रते सय्यि-दतुना आइशा सिद्दीकाرضي الله تعالي عنها की तस्वीर ले कर बारगाहे रिसालत ﷺ में हाजिर हुए आरै अर्ज की  येह दुन्या व आखिरत मे आप की ज़ौजा हैं।

      *✍एज़न, हदिस 389📗*

⚘3⃣ ☞ हजरते सय्यिदूना अम्र बिन आसرضي الله تعالي عنه फरमाते हैःमैं ने बारगाहे रिसालत मे अर्ज की या रसुलल्लाह ﷺ ! आप के नज़्दीक सब से प्यारा इन्सान कौन है ? फ़रमाया  आइश़ा ! मैं ने फिर पुच्छा और मर्दों में से ? फ़रमाया उन के वालिद (या'नी हजरते अबु बक्र सिद्दीक़ )!

⚘4⃣ ☞ नबिय्ये अकरमﷺ ने अपनी लाडली शहज़ादी हज़रते सय्यि-दतुना फत़िमाرضي الله تعالي عنها को मुखात़ब कर के इर्शाद फरमायाः रब्बे का'बा की क़सम ! तूम्हारे वालिद केा आइशा बहूत ज़ियादा महबूब हैं।

*✍कीताबूल अलारीब, 468,हादीस3898📙*

⚘5⃣ ☞ हज़रते सय्यिदुना अनस बिन मालिकرضي الله تعالي عنه बयान करते है कि सरकारे मदीना ﷺ के पड़ासे में रहने वाला एक ईरानी जो शोरबा बहूत अच्छा बनाता था, एक दिन तसा ने रसुले खूदा के लिये बनाया और आप केा दा'वत देने हा़जिर हुवा तो आप ﷺ ने इस्तिफ़्सात फ़रमाया और क्या आइशा भी، अंर्ज की  नहीं । इस पर आप ﷺ ने उस की दा'वत क़बूल करने से इन्कार कर दिया, उस ने दोबारा दांवत दी आपﷺ ने फिर दरयाफत फरमाया आरै क्या अइशा भी ? उस ने इंनकार किया तो आप ﷺ ने भी इन्कार फरमा दिया । उस ने तीसरी दफ़आ दा'वत दी आप ﷺ ने फिर पुछा क्या अइशा भी? उस ने अर्ज़ की जी हां। (इन की भी दा' वत है) तब आप दोनों एक दूसरे को थामते हूए अठे और उस के घर तशरीफ़ ले गएं।..✍

 *📬 साहि मुसलीम, 808 हादिस 2034 ,फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा 17 📚*

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*⚘फ़ज़ाइले आइशा पर मुश्तीमल 7 रिवायात  ⚘*                            
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⚘6⃣ ☞ अम्मुल मुअमिनीन बिन्ते अमीरूल मुअमिनीन हजरते र्सीय्य-दतुना अइशा सिद्दीकाرضي الله تعالي عنها ने अपने सरताज से अर्ज की  या रसुलल्लाह ﷺ ! अल्लाह से मेरे लिये दूआ फरमाईये । आप ﷺ ने बारगाहे खूदा मैं यूं इिल्तजा की  ऐ अल्लाह ! आइशा के अगले पिछले जाहिरी बतिनी गुनाह मूआफ फरमा दे। येह सुन कर हजरेत साय्यि -दूतुना आइशा हस कदर मुस्कुराई कि आप का सर अपनी गाेद में चला गया। हूजूरﷺ ने इर्शाद फरमाया क्या तुम मेरी दूआ पर खूश होती हो ? अर्ज की में आप की दूआ पर कंयू न खूश होउं ? तो २सुले करीम ﷺ ने फ़रमाया अल्लाह की क्सम ! बेशक हर नमाज़ में येह दूआ मेरी उम्मत के लिये है।

*✍सही इब्ने जहान सः1901,हादिसः4111 📕*

⚘7⃣ ☞ आइश़ाرضي الله تعالي عنها की फजीलत तमाम औरतों पर ऐसी है जैसे सरीद की सब खानों पर।

*✍तीरमीज़ी स: 842,हदिसः 3886 📗*

⚘❈☞ शारेहे मिश्कात, हकीमुल उम्मत मुफ़्ती अहमद यार खान नईमी अलैरहमा फरमाते है हज़रते आइशाرضي الله تعالي عنها सूरत, सीरत, इल्म, अमल, फ़साहत, फ्तानत, ज़कावत, अक़्ल, हुज़ूर ﷺ की महबूबिय्यत वगैरा हज़ारहा सिफ़ात की जामेअ है. हक़ ये है कि आप सारी औरतो हत्ता की खदीजतुल कुब्रा से भी अफज़ल है, आप बहुत अहादीस की जामेअ, उलुमे क़ुरआनीया की माहिर बीबी है.
   
⚘❈☞ मजीद फरमाते है आपرضي الله تعالي عنها के फ़ज़ाइल रैत के ज़र्रो, आसमान के तारो की तरह बे शुमार है, आप रब तआला का तोहफा है जो हुज़ूर ﷺ को अता हुई आप की इस्मत व इफ़्क़त की गवाही खुद रब तआला ने क़ुरआने मजीद में सूरए नूर में दी, हाला की जनाबे मरयम और युसूफ की इस्मत की गवाही बच्चे से दिलवाई गई

⚘❈☞ उम्मत को तयम्मुम की आसानी आपرضي الله تعالي عنها के सदके से मिली, हुज़ूर ﷺ का विसाल आप के सीने पर हुवा. हुज़ूर ﷺ की आखरी आराम गाह आप का हुजरा है, आप का लुआब हुज़ूर ﷺ के लुआब के साथ विसाल के वक़्त जमा हुवा, आप के बिस्तर में वही आती थी, आप खुद सिद्दीक़ा है और सिद्दीक़ की बेटी है..✍

   *📬 फैजाने आइशा सिद्दीक़ा, 18 📚*

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           *⚘ करामते आइशा सिद्दीक़ा ⚘*                            
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⚘❈☞ हज़रते रुहुल अमिन का हज़रते आइशा सिद्दीक़ाرضي الله تعالي عنها को सलाम कहना और आप के बिस्तर पर रसूले खुदा पर वही उतरना इन दो रिवायत को शैखुल हदिष मुफ़्ती अब्दुल मुस्तफा आज़मी अलैरहमा ने हज़रते आइशा सिद्दीक़ाرضي الله تعالي عنها की करामत में शुमार किया है और इस के इलावा आप की एक तीसरी करामत भि बयां फ़रमाई है।

           *⚘आइशा की रहनुमाई से बारिश ⚘*                            
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⚘❈☞ एक मर्तबा मदीने में बारिश नही हुई और लोग शदीद कहत मर मुब्तला हो कर बिलबिला उठे। जब लोग कहत की शिकायत ले कर हज़रते आइशाرضي الله تعالي عنها की खिदमत में पहुचे तो आप ने फ़रमाया की मेरे हुजरे में जहा हुज़ूरे अन्वर ﷺ की क़ब्र है, उस हुजरए मुबारक की छत में एक सुराख कर दो ताकि हुजरए मुनव्वरह से आसमान नज़र आने लगे।

⚘❈☞ चुनांचे जेसे ही लोगो ने छत में एक सुराख़ बनाया फौरन ही बारिश शुरू हो गई और अतराफे मदीना की ज़मीन सर सब्ज़ो शादाब हो गई और उस साल घास और जानवरो का चारा भी इस क़दर ज़्यादा हुवा की कसरते खुराक से ऊंट फर्बा हो गए और चर्बी की ज़्यादती से उन के बदन फूल गए।

    *✍ सुनन अल-दारिमि, 58 📚*

⚘❈☞ हज़रत मुफ़्ती अहमद या खान नईमी अलैरहमा इस हदिष के तहत फरमाते है मालुम हुवा की आसमानी आफत की शिकायत अल्लाह के मक़बूल बन्दों से कर सकते है।
   
⚘❈☞ मजीद फरमाते है सहाबा हुज़ूर ﷺ की हयात शरीफ में हुज़ूर ﷺ के तवस्सुल से दुआए मांगते थे। बादे वफ़ात जनाबे आइशा ने हुज़ूर ﷺ की क़ब्र बल्कि इसकी खाक की बरकत से दुआ कराइ, ये भी दर हक़ीक़त हुज़ूर ﷺ ही के वसीले से दुआ है।

⚘❈☞ ये तरीक़ा बहुत मुबारक है, इस हदिष से चन्द मसअले मालुम हुए एक ये की वफ़ात याफ्ता बुज़ुर्गो के वसीले से दुआए करना जाइज़ है। दूसरे ये की उन के तबर्रुकात के वसीले से दुआए करना जाइज़ बल्कि सुन्नते सहाबा है। तीसरा ये की बुज़ुर्गो की क़ब्रे बी इज़्ने इलाही दाफ़ेउल बला और मुश्किल कुशा है।..✍

 *📬  मीरआतुल मनाजिह 8/272 फैज़ाबे आइशा सिद्दीक़ा 19 📚*

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     *⚘ आइशा का मुखालिफ ओर अम्मार बिन यासिर ⚘*                            
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⚘❈☞ एक शख्स हज़रते अम्मार बिन यासिर के पास आ कर हज़रते आइशा सिद्दीक़ाके बारे में ना मुनासिब गुफ्तगू करने लगा, तो आप ने फ़रमाया ओ,मर्दुद और बद तरीन आदमी! निकल जा, क्या तू महबूबे रसूल की तकलीफ का सब बनता है ?

         *✍ तिर्मिज़ी, 873 📚*

⚘❈☞ हज़रते अम्मार बिन यासिर का ये तर्ज़े अमल हम सब के लाइके तक़लीद है अगर हमारे सामने कोई शख्स किसी की बुराई करे, चुगली खाए तो उसे फौरन रोक दिया जाए और अगर वो किसी अल्लाह वाले का बद गो हो तो उसे अपने से फौरन दूर कर दिया जाए की हुस्ने अख़लाक़, हुस्ने ऐतिक़ाद और हुस्ने अक़ीदत का यही तक़ाज़ा है।

⚘❈☞ अल्लाह ने पारह 7, सूरतुल अनआम की आयत 68 में इरशाद फ़रमाता है और जो कहि तुजे शैतान भुलावे तो याद आए पर जालिमो के पास न बैठ।

⚘❈☞ हज़रते अल्लामा मुफ़्ती अहमद यार खान अलैरहमा इस आयत की तफ़सीर में फरमाते है इससे मालुम हुवा की बुरी सोहबत से बचना निहायत ज़रूरी है। बुरा यार बुरे साप से बदतर है की बुरा साप जान लेता है और बुरा यार ईमान बर्बाद करता है।..✍

 *📬 तफ़सीरे नुरुल इरफ़ान फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा, 23 📚*

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  *⚘आइशा का नेकी की दावत का ज़ज्बा  ⚘*                            
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⚘❈☞ हज़रते बनानाرضي الله تعالي عنها फरमाती है की वो उम्मुल मुअमिनिन हज़रते आइशाرضي الله تعالي عنها के पास थी की आप की खिदमत में एक बच्ची लाइ गई जिस के पैर में झाझन (गुंगरू) थे जो आवाज़ कर रहे थे आप बोली की इसे मेरे पास हरगिज़ न लाओ मगर इस सूरत में की इस के झाझन तोड़ दिये जाए, मेने रसूलुल्लाहﷺ को फरमाते सुना की उस घर में फ़रिश्ते नहीं आते जिस में झाझन हो।

     *✍ सुनन इब्ने दाऊद, 226 📕*

⚘❈☞ देखा आप ने ! औरतो को ज़ेवरात की आवाज़े छुपाने का भी हुक्म है, इन्हें घर में चलने फिरने में भी इस क़दर ज़ोर से पाउ रखना की ज़ेवर की झंकार की आवाज़ गैर महरमो तक पहुचे मना है,

⚘❈☞ अल्लाह फ़रमाता है और ज़मीन पर पाउ ज़ोर से न रखे की जाना जाए उन का छुपा हुवा सिंगार।

       *✍ पारह, 18, सुरतुन्नूर, 31 📗*
   
⚘❈☞ जनाब मुफ़्ती नईमुद्दीन मुरादाबादी अलैरहमा इस आयत की तफ़सीर में फरमाते है  यानी औरत घर के अंदर चलने फिरने में भी पाउ इस क़दर आहिस्ता रखे की इन के ज़ेवर की झंकार न सुनी जाए।

⚘❈☞ मज़ीद फरमाते है इस लिये चाहिए की औरते बाजेदार झांझन न पहने हदीस में है की अल्लाह उस क़ौम की दुआ नही क़बूल फ़रमाता जिन की औरते झांझन पहनती हो। इस से समझना चाहिए की जब ज़ेवर की आवाज़ अदमे कबूले दुआ की सबब है तो ख़ास औरत की आवाज़ और इस की बे पर्दगी केसी मुजिबे गजबे इलाही होगी, पर्दे की तरफ से बे परवाई तबाही का सबब है।

*✍ तफ़सीरे खज़ाइनुल इरफ़ान, 18, सुरतुन्नूर, 31 📙*
   
⚘❈☞ मेरे आक़ा आला हज़रत  अलैरहमा इरशाद फरमाते है बजने वाला ज़ेवर औरत के लिये इस हालत में जाइज़ है की ना महरमो मसलन खाला, मामू, चचा, फूफी के बेटो, जेठ, देवर, बहनोई के सामने न आती हो न के ज़ेवर की झंकार न महरम तक पहुचे।..✍

 *📬 फतावा रज़विय्या, 22/128 फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा, 24 📚*

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 *⚘ आइशा सिद्दीक़ा की इल्मी शानो शौकत~01 ⚘*                            
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*⚘सहाबा  की  मर्कज़ी  दर्सगाह  बारगाहे  आइशा⚘*
   
⚘❈☞ हज़रते अबू मूसा असअरीرضي الله تعالي عنه फरमाते है हम असहाबे रसूल को किसी बात में इश्काल होता तो हम आइशा सिद्दीक़ाرضي الله تعالي عنها की बारगाह में सुवाल करते तो आप के पास से ही उस बात का इल्म पाते।

*✍ तिर्मिज़ी, 873, हदीस : 3882 📙*

⚘❈☞ मुफ़्ती अहमद यार खान अलैरहमा बयान करदा रिवायत के तहत फरमाते है असहाबे रसूलुल्लाह को किसी मसअले में कोई इश्काल होता और वो मुश्किल कहि हल न होती तो हज़रते आइशाرضي الله تعالي عنها के पास हाज़िर होते, इन के पास या तो उस के मुतअल्लिक़ हदीस मिल जाती या किसी हदीस से उस मसअले का इस्तिम्बात मिल जाता। अज़ आदम ता ई दम (हज़रते आदम से ले कर आज तक) कोई बीबी ऐसी अलीमा फ़क़ीहा पैदा न हुई जेसी जनाबे हज़रते आइशाرضي الله تعالي عنها हुई।
   
⚘❈☞ आपرضي الله تعالي عنها उलूमे क़ुरआनीया, उलूमे हदीस की जामेअ, बड़ी मुहद्दिसा, बड़ी फ़क़ीहा थी। सिर्फ एक मिसाल पेश करता हु किसी ने अर्ज़ किया ऐ उम्मुल मुअमिनिन  ! क़ुरआन से मालुम होता है की हज व उम्रह में सफा व मरवा की सअय वाजिब नही, सिर्फ जाइज़ है क्यू की अल्लाह ने फ़रमाया इस पर गुनाह नही की इन दोनों के फेरे करे आपرضي الله تعالي عنها ने जवाब दिया  अगर ये सअय वाजिब न होती तो यु इरशाद होता की इन के सअय न करने में कोई गुनाह नही

⚘❈☞ इस एक जवाब से उसूले फिक़्ह का कितना दकीक़ मसअला  हल फरमा दिया की वाजिब की पहचान ये है की इस के करने में सवाब, न करने में गुनाह, जाइज़ की पहचान ये है की उस के न करने में गुनाह न हो। यहाँ आयत में पहली बात फ़रमाई गई है।..✍

 *📬 मीरआतुल मनाजिह, 1/505 फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा, 28 📚*

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     *तोहफा   ए   दीन   कुबूल   फरमाए*w

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  *⚘आइशा सिद्दीक़ा की इल्मी शानो शौकत~02  ⚘*                            
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*⚘इल्मे आइशा के मुतअल्लिक़ 5 फरामिने मुबारका⚘*

*⚘01☞* हज़रते उर्वहرضي الله تعالي عنه फरमाते है मेने हज़रते आइशा सिद्दीक़ाرضي الله تعالي عنها से बढ़ कर शे'र, तिब और फिक़्ह का आलिम किसी को नही पाया।

*⚘02 ☞* हज़रते उर्वहرضي الله تعالي عنه से मरवी एक और रिवायत में तो मज़कूरा उलूम समेत दीगर उलूम का भी तज़किरा है, मेने लोगो में सिद्दीक़ा बिन्ते सिद्दीक़رضي الله تعالي عنها से बढ़ कर किसी को क़ुरआन, मीरास, हलाल व हराम, शे'र, अक़्वाले अरब और नसब का आलिम नही देखा।

*⚘03 ☞* मसहूर हदीस व ताबेइ इमाम शहाबुद्दीन जोहरी अलैरहमा रिवायत करते है की नबिय्ये करीमﷺ का इरशाद है इस उम्मत की तमाम औरतो ब शुमुल अज़्वाजे नबी के इल्म को अगर जमा कर लिया जाए तो आइशा का इल्म उन सब के इल्म से ज़्यादा होगा।

*⚘04 ☞* हज़रते अमीरे मुआवियाرضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया अल्लाह की क़सम ! हज़रते आइशाرضي الله تعالي عنها से बढ़ कर में ने किसी भी खतीब को बलीग़ व ज़हीन नही देखा।

*⚘05 ☞* हज़रते मूसा बिन तल्हाرضي الله تعالي عنه फरमाते है मेने हज़रते आइशाرضي الله تعالي عنها से बढ़ कर किसी को फसीह व बलीग़ नही देखा।..✍

    *📬 फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा, 31 📚*

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  *⚘आइशा और वाक़ीआए इफ्क ~ 01⚘*                            
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       *⚘ वाक़ीआए  इफ्क  क्या  है ? ⚘*                            
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⚘❂•➤ ये वाक़ीआ गज़्वाए बनी मुस्तलिक से वापसी पर हुआ। इसकी तफ़सील बयान करते हुए उम्मुल मुअमिनिन हज़रते आइशा सिद्दीक़ाرضي الله تعالي عنها इरशाद फरमाती है। सरवरे काएनात ﷺ जब किसी सफर का इरादा फरमाते तो अपनी अज़्वाजे मुतह्हरात के दरमियान कुरआ अंदाज़ी फरमाते उन में जिसका नाम निकल आता उसको अपने साथ सफर में ले जाते।
 
⚘❂•➤  आप ﷺ ने गज़्वे में शिर्कत के लिये हमारे दरमियान तो उसमे मेरा नाम निकल आया, आयते हिजाब के नुज़ूल के बाद में रसूलुल्लाह ﷺ के हमराह निकली। में कजावा में सुवार रहती और इसी में सफर करती। हम चले हत्ता की हुज़ूर ﷺ उस गज़्वे से फारिग हो कर वापस हुए, हम वापसी पर जब मदीना के क़रीब आ गए तो आप ने उस रात वहा से कूच का ऐलान फ़रमाया।

⚘❂•➤ जब लोगो ने कूच का ऐलान किया तो में खड़ी हुई (और कज़ाए हाजत के लिये) लश्कर से दूर गई। जब में कज़ाए हाजत से फारिग हो कर अपने कजावे की तरफ वापस आई तो में ने अपने सीने को मस किया, क्या देखती हु के मेरा हार गम हो गया है में वापस अपने हार की तलाश में गई तो उसकी तलाश में देर हो गई और वो लोग जो मेरा कजावा उठाते थे आए, उन्होंने मेरा कजवा उठाया और ऊंट पर रख दिया उनका ख्याल था की में हौदज में हु। मुझे हार मिला और वापस लौटी तो देखा की लश्कर जा चूका था। मेने उस जगह का इरादा किया जहा में थी और मेरा ख्याल था की वो मुझे गुम पा कर मेरी तरफ वापस आएँगे इसी अस्ना में बेठे बेठे मुझ पर नींद ग़ालिब हुई और में सो गई।

   *📬  फैज़ाने  आइशा  सिद्दीक़ा , 41  📚*

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  *⚘ आइशा और वाक़ीआए इफ्क ~ 02⚘*                            
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⚘❂•➤ हज़रते आइशा सिद्दीक़ाرضي الله تعالي عنها फरमाती है हज़रते सफ्वान बिन मुअत्तल सुलमीرضي الله تعالي عنه लश्कर के पीछे आ रहे थे, वो सुब्ह के वक़्त मेरी जगह जगह के क़रीब आए और दूर से किसी सोए हुए इंसान का वुजूद देखा जब उन्हों ने मुझे देखा तो पहचान लिया, उन्होंने पर्दे हुक्म नाज़िल होने से पहले मंझे देखा था, और उन्होंने اِنَّ لِلّٰهِ وَاِنَّٓ اِلَيْهِ رَاجِعُوْنَ पढ़ा तो में जाग गई मेने दुपट्टे से अपना चेहरा ढांप लिया। अल्लाह की क़सम ! हमने न तो कोई बात की और न ही मेने اِنَّ لِلّٰهِ وَاِنَّٓ اِلَيْهِ رَاجِعُوْنَ के इलावा उनसे कोई बात सुनी। उन्होंने अपनी सुवारी को बिठाया, में उठी और उस पर सुवार हो गई और वो ऊंट पकड़ कर आगे आगे पैदल चलने लगे हत्तकी हम दोपहर की सख्त गर्मी में लश्कर के पास पहुचे जहा वो आराम के लिए उतरे हुए थे।
   
⚘❂•➤ आपرضي الله تعالي عنها फरमाती है हलाक हुवा वो शख्स हलाक हुवा ! जिसने बोहतान बंधने में बहुत ज्यादा हिस्सा लिया था वो मुनाफ़िक़ीन का सरदार अब्दुल्लाह बिन उबय्य बिन सलुल था। उर्वह बिन ज़ुबैरرضي الله تعالي عنه फर्मआते है मुझे खबर दी गई की अब्दुल्लाह बिन उबय्य के पास इफ्क के मुतअल्लिक़ बाते की जाती और उन्हें फेलाया जाता, वो उनकी तौसीक करता, कान लगा कर उन्हें सुनता और आगे बयान करता।
   
⚘❂•➤ हज़रते आइशाرضي الله تعالي عنها फरमाती है फिर हम मदीना आ गए। मदीना आने के बाद में एक महीना बीमार रही और लोग बोहतान लगाने वालो की गुफ्तगू में मशगूल थे। मुझे इसके मुतअल्लिक़ कुछ मालुम न था। हत्ता की जब में कमज़ोर हो गई तो मस्तिह के साथ मनासेअ की तरफ निकली, वो हमारी क़ज़ाए हाजत की जगह थी, हम रात को ही बाहर जाया करते थे और ये हमारे घरो के क़रीब बैतूल खला बनाने से पहले की बात है।  क़ज़ाए हाजत से फारिग जोन के बाद जब में और उम्मे मिस्तह अपने घर की तरफ वापस आ रही थी तो उम्मे मिस्तह मुझे अहले इफ्क के मुतअल्लिक़ बताया, इस बात ने मेरी बिमारी में और इजाफा कर दिया। जब में अपने घर वापस आई तो रसूले खुदाﷺ मेरे पास तशरीफ़ लाए, सलाम कहने के बाद मेरा हाल दरयाफ़्त फ़रमाया, मेने आप ﷺ से अपने वालिदैन के घर जाने की इजाज़त तलब की। में चाहती थी की अपने वालिदैन से इस खबर की तस्दीक़ करू।..✍🏻

   *📬 फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा, 42  📚*

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  *⚘ आइशा और वाक़ीआए इफ्क ~ 03⚘*                            
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⚘❂•➤  हज़रते आइशा सिद्दीक़ाرضي الله تعالي عنها फरमाती है आप ﷺ ने मुझे वालिदैन के पास जानेकी इजाज़त देदी जब में वहा गई तो मेंने अपनी वालिदा से कहा लोग क्या बाते कर रहे है ? वालिदा ने कहा इसकी परवा न करो, बखुदा ! कभी ऐसा भी होता है की कोई खूब सूरत औरत हो, उसके खावन्द को उससे महब्बत हो और उसकी सोकने भी हो तो वो उसके हक़ में बाते बनाती है और ऐब लगाती है।
   
⚘❂•➤ आइशाرضي الله تعالي عنها फरमाती है मेने तअज्जुब से कहा سبحان الله ! लोग ऐसी बाते करते है। फरमाती है में उस रात सुब्ह तक रोती रही की मेरे आसु नही रुकते थे और न ही मुझे नींद आई फिर में सुब्ह के वक़्त भी रोती रही। इस दौरान हुज़ूर ﷺ ने हज़रते अलीكَرَّمَ اللّٰهُ تَعَالٰى وَجْهَهُ الْكَرِيْم और उसामा बिन ज़ैदرضي الله تعالي عنه को तलब फ़रमाया, जब जब वही का सिलसिला रुका हुआ था आप ने अपनी अपनी बीवी के फ़िराक के मुतअल्लिक़ दरयाफ़्त फ़रमाया और मशवरा लिया। उसामा बिन ज़ैदرضي الله تعالي عنه ने अर्ज़ किया हम हमतो उनमे भलाई ही जानते है। हज़रते अलीكَرَّمَ اللّٰهُ تَعَالٰى وَجْهَهُ الْكَرِيْم ने अर्ज़ की या रसूलुल्लाह ﷺ ! अल्लाह ने आप पर तंगी नहीं फ़रमाई, उम्मुल मुआमिनिन के इलावा और भी बहुत औरते है और आप हज़रते बरीरा से दरयाफ़्त कर लीजिये वो आप से सच बोलेगी।

⚘❂•➤ तो हुज़ूरﷺ ने हज़रते बरीराرضي الله تعالي عنه को तलब फ़रमाया और फ़रमाया ऐ बरीरा ! तुमने आइशा में कुछ देखा है जिस से तुझे कुछ शक होता है ? हज़रते बरीरा ने अर्ज़ की अल्लाह की क़सम ! मेने हज़रते आइशा में कुछन्हि देखा, हा ! ये की वो कमसिन लड़की है आटा गूंध कर सो जाती है घरेलू बकरी आती है और आटा खा जाती है।..✍🏻

   *📬  फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा, 42 📚*

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  *⚘_आइशा और वाक़ीआए इफ्क ~ 04⚘*                            
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*⚘ रईसुल मुनाफ़िक़ीन की नापाक साज़िश ⚘*                            
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⚘❂•➤ मुनाफ़िक़ीन के सरदार अब्दुलाह बिन उबय्य ने इस वाक़ीए को हज़रते आइशाرضي الله تعالي عنها पर तोहमत लगाने का ज़रिआ बना लिया और खूब खूब इस तोहमत का चर्चा किया यहाँ तक की मदीने में हर तरफ इस इफ्तिरा और तोहमत का चर्चा होने लगा और बाज़ मुसलमान भी इस बद लगाम के दाम में आ गए और इन साहिबान की ज़बान से भी कोई कलिमा बे जा सरज़द हुआ। हुज़ूरﷺ को इस सर अंगेज़ तोहमत से बेहद रंज व सदमा पंहुचा और मुख्लिस मुसलमानो को भी इन्तिहाई रंजो गम हुवा। हज़रते आइशाرضي الله تعالي عنها मदीने पहुचते ही सख्त बीमार हो गई, और इन्हें इस तोहमत की बिलकुल खबर ही नही हुई।
   
⚘❂•➤ हुज़ूरﷺ ने हज़रते आइशाرضي الله تعالي عنها की बराअत और पाक दामनी का एलान करना मुनासिब न समझा और वही का इंतज़ार फाने लगे इस दौरान आपﷺ इस मुआमले में अपने मुख्लिस असहाब से मशवरा फरमाते रहे ताकि इन लोगो के खयालात का पता चल सके।

*⚘ बद मज़्हबो के जहन्नमी करतुर ⚘*                            
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⚘❂•➤ वाक़ीआ सिर्फ इतना ही नही है, इस पर ही उस दौर के मुनाफ़िक़ीन ने उम्मुल मुअमिनिन आइशा सिद्दीक़ाرضي الله تعالي عنها के पाक साफ़ दामन को दागदाग बनाने की नाकाम साज़िशे कर के नबी ऐ रहमतﷺ को इज़ा पहुचाई और यही काम आज कल के बाज़ बद मज़हब कर रहे है। अल्लाह हमें उन के शर से महफूज़ फरमाए।

⚘❂•➤ बहर हाल इस साजिश को बे निक़ाब करने वाले और हज़रते आइशा सिद्दीक़ाرضي الله تعالي عنها की पाकबाज़ी को साबित करने वाले फरामिने इलाहिय्यह और अहादिशे नबवी, इस बयान का हिस्सा है, जो मुख़्तसर वज़ाहत के साथ ज़िक्र किया जाएगा,

   *📬 फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा, 45 📚*

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  *⚘ आइशा और वाक़ीआए इफ्क~ 05⚘*                            
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⚘❂•➤ उम्मुल मुअमिनिनرضي الله تعالي عنها फरमाती है में उस रोज़ भी रोती रही मेरे आसु न रुकते थे और न ही मुझे नींद आती थी। आप ने फ़रमाया मेरे वालीदेन सुब्ह के वक़्त मेरे पास आए हाला की इस तरह में मुसलसल दो रातो और एक दिन रोती रही थी मेरे आसु नही रुकते थे और न ही मुझे नींद अति थी हत्ता की में ने ख़याल किया की मेरा रोना मेरा जिगर फाड़ देगा। एक दफा मेरे वालीदेन के  पास बेठे थे और में रो रही थी इसी अस्ना में एक अन्सारिया औरत ने अंदर आने की इजाज़त मांगी मेने उसे इजाज़त दी तो उस ने भी मेरे साथ बेथ कर रोना शुरू कर दिया। हम इसी हालत में बेठे की रसूलुल्लाहﷺ हमारे पास तशरीफ़ लाए, सलाम करने के बाद तशरीफ़ फरमा हुए, हाला की जब से मेरे मुतअल्लिक़ किलो काल होती रही इससे क़ब्ल आप मेरे पास तशरीफ़ नही लाए थे। एक महीना इंतज़ार किया लेकिन मेरे मुआमले के मुतअल्लिक़ आप पर वही नाज़िल नही हुई।
   
⚘❂•➤ उम्मुल मुअमिनिनرضي الله تعالي عنها ने फ़रमाया रसूलुल्लाह ﷺ जब तशरीफ़ फरमा हुए तशह्हुद पढ़ा, फिर आप ﷺ ने फ़रमाया ऐ आइशा ! मुझे तुम्हारी तरफ से ऐसी ऐसी बाते पहुची है अगर तुम पाक दामन हो तो अनक़रीब अल्लाह तुम्हे बरी कर देगा और अगर तुम गुनाह में मुल्व्वास हो तो अल्लाह से इस्तिग़फ़ार करो और उसे के हुज़ूर तौबा करो क्यू की जब बन्दा ऐतिराफे जुर्म करने के बाद अल्लाह की तरफ रुजू करता है तो अल्लाह उसी की तौबा क़बूल फरमा लेता है।
   
⚘❂•➤ आपرضي الله تعالي عنها फरमाती है जब आपﷺ ने अपना कलाम पूरा फ़रमाया मेरे आसु रुक गए हत्ता की में एक क़तरा आसु भी महसूस न करती थी। मेरा गुमान भी न था की अल्लाह मेरे मुआमले में वही नाज़िल फ़रमाएगा जिस की तिलावत की जाएगी मुझे इस बात की उम्मीद थी की रसूलुल्लाहﷺ नींद की हालत में ख्वाब देखेंगे जिस के ज़रिए अल्लाह मुझे बरी फरमा देगा। अल्लाह की क़सम ! नबियो के सालारﷺ इस मजलिस से अलाहदा न हुए और न ही घर वालो से कोई बाहर निकला था हत्ता की आप पर वही का नुज़ूल होने लगा, वही की सिद्दत से आपﷺ की वही हालत होने लगी जो होती थी हत्ता की सख्त सर्दी के दिन में कलाम की सकालत के बाईस जो आपﷺ पर नाज़िल किया गया, मोतियो की मिस्ल आप से पसीने के क़तरे गिर रहे थे।
   
⚘❂•➤ जब आप ﷺ से वही की सिद्दत ज़ाइल हुई तो आप हस रहे थे और पहला कलिमा जो आप ने इरशाद फ़रमाया ये था ऐ आइशा ! अल्लाह ने इस बोहतान से तुझे बरी कर दिया है।..✍🏻

   *📬 फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा, 44 📚*

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       *तोहफा   ए   दीन   कुबूल   फरमाए*

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*फैज़ाने  आइशा  सिद्दीक़ा  रादिअल्लाहु  अन्हा*

●BISMILLAHIRRAHMANI RRAHIM●

  *⚘ आइशा और वाक़ीआए इफ्क ~ 06⚘*                            
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*⚘वाक़ीआए इफ्क के तनाज़ुर में शाने आइशा ब ज़बाने सहाबा ⚘*                            
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⚘❂•➤ हुज़ूर ﷺ ने जब अमीरुल मुअमिनिन हज़रते फ़ारुके आज़मرضي الله تعالي عنه से जब तोहमत के बारे में गुफ्तगू फ़रमाई तो उन्होंने अर्ज़ किया या रसूलुल्लाहﷺ ! जब अल्लाह को ये गवारा नही की आप के जिस्म पर मख्खी भी बेठ जाए क्यू की मख्खी नजासतो पर बैठती है तो भला जो औरत ऐसी बुराई की मूर्तक़िब हो खुदा कब और कैसे पसंद फ़रमाएगा की वो आप की ज़ौजिय्यत में रहे।
   
⚘❂•➤ हज़रते उष्माने गनीرضي الله تعالي عنه ने बारगाहे रिसालत में अर्स की या रसूलुल्लाह ﷺ जब अल्लाह ने आप के साए को ज़मीन पर नही पड़ने दिया की कहि ज़मीन पर नजासत न हो, हक़ तआला जब आप के साए की इतनी हिफाज़त फ़रमाता है तो आप के हरमे मोहतरम को ना शाइस्तगी से क्यू हिफाज़त न फ़रमाएगा।
   
⚘❂•➤ हज़रते अलियुल मुर्तज़ाكَرَّمَ اللّٰهُ تَعَالٰى وَجْهَهُ الْكَرِيْم अर्ज़ करते है या रसूलुल्लाह ﷺ एक मर्तबा आप की नालैने अक़दस में गेर ताहिर चीज़ लग गई थी तो रब्बे जलील ने हज़रते जिब्राईल को भेज कर आप को खबर दी की अपनी नालैन को उतार दे। इस लिये हज़रते आइशा معاذ الله अगर ऐसी होती तो ज़रूर अल्लाह आप पर वही नाज़िल फरमा देता की आप इनको अपनी ज़ौजिय्यत से निकल दे।
   
⚘❂•➤ हज़रते अबू अय्यूब अंसारीرضي الله تعالي عنه ने इस तोहमत की खबर सुनी तो उन्होंने अपनी बीवी से कहा की जो कुछ कहा जा रहा है क्या तुम्हे इल्म नही ? वो फरमाने लगी अगर आप हज़रते सफ्वान बिन मुअत्तलرضي الله تعالي عنه की जगह होते तो क्या रसूले पाकﷺ की हरमे पाक के साथ ऐसा करते ? हज़रते अबू अय्यूबرضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया हरगिज़ नही ! फिर फरमाने लगी अगर हज़रते आइशा सिद्दीक़ा رضي الله تعالي عنها की जगह में होती तो कभी रसूलुल्लाह ﷺ के साथ ये खयानत न करती, जब की हज़रते आइशाرضي الله تعالي عنها मुझसे बेहतर और हज़रते सफ्वान बिन मुअत्तलرضي الله تعالي عنه तुम से बेहतर है।

   *📬  फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा, 46 📚*

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  *⚘ आइशा और वाक़ीआए इफ्क ~ 01⚘*                            
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   *⚘ अब जो सय्यिदह पर तोहमत लगाए वो काफ़िर है ⚘*                            
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⚘❂•➤ उम्मुल मुअमिनिन आइशा सिद्दीक़ाرضي الله تعالي عنها पर लगाया जाने वाला इलज़ाम व बोहतान जब क़ुरआनी आयत, फरमाने मुस्तफा और अक़्वाले सहाबा की रु से सरासर झुटा साबित है तो हर मुसलमान पर लाज़िम है की वो हज़रते आइशा सिद्दीक़ाرضي الله تعالي عنها को इस तोहमत से पाक और हर इलज़ाम से बरी जाने, अब आयते क़ुरआनीया से हज़रते आइशाرضي الله تعالي عنها के अफ़िक़ा व तैय्यबा होना वाज़ेह तौर पर साबित है, معاذ الله अब भी अगर कोई आप को पाक साफ़ न जाने तो वो बेशक अपने आप को मोमिन और खादिमे अहले बैत समझता रहे, शरीअत उसे काफ़िर जानती है।

⚘❂•➤ आला हज़रत अलैरहमा फतावा रज़विय्या में इरशाद फरमाते है उम्मुल मुअमिनिन सिद्दीक़ाرضي الله تعالي عنها को बोहतान लगाना क़ुफ़्रे खालिस है।

   ✍ *फतावा रज़विय्या, 14/245* 📚

⚘❂•➤ अहले बैते नुबुव्वत से महब्बत का ये मतलब नही की चन्द अफ़राद को छोड़ कर बाक़ी पर लानत तान शुरू कर दो, बल्कि गुलिस्ताने मुस्तफा का हर फूल ख्वाह अज़्वाजे मुतह्हरात हो, या औलादे रसूल या सहाबा सब के सब नेक व मक़बूले बारगाह और हमारे सरो के ताज व लाइके सद एहतिराम है। इन में से किसी एक के बारे में बुरा कहना गुस्ताखी व बे अदबी और जहन्नम में ले जाने वाला अमल है।
   
⚘❂•➤ अहले बैत से हक़ीक़ी महब्बत ये है की नबिय्ये पाक के घराने के हर फर्द ख्वाह वो आप की अज़्वाज हो या औलाद सब को महबूब जाना और माना जाए, और इस दरे दौलत के वाबस्तगान यानि सहाबए किराम को मुअज़्ज़म व मुकर्रम कहा और समझा जाए। ये है अहले बैते नुबुव्वत से हक़ीक़ी महब्बत जो की सिर्फ और सिर्फ अहले सुन्नत को नसीब हुई है।

   *📬 फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा, 53 📚*

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   *⚘ इफ़्फ़ते आइशा पर एक और दलील ⚘*                            
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⚘❂•➤ प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो! जैसा कि तमाम अहले हक को मौकिफ़ है और इस को नईमुद्दीन मुरादाबादो رحمة الله عليه ने अपनी तफ्सीर ‘खजाइनुल इरफ़ान' के अन्दर नक्ल फ़रमाया है कि आयते बराअत नाज़ील होने से कब्ल ही हज़रते उममुल मुअमिनीन की तरफ से कुलूब मुत्मइन थे, आयत के नुज़ुल ने इन का इज्ज़ो शरफ़ और ज़ियादा कर दिया।

    *✍️तसरे खज़ाइनुल इरफान 📗*

⚘❂•➤ अगर बिलफ़र्ज़ हज़रते आइशा رحمة الله عليه की पाक दामनी पर क़ुरआनो हदीस खामोश भी रहते तो एक दलील ऐसी भी थी जो हज़रते आइशा رحمة الله عليه को इस झूटे इल्ज़ाम से बरी करने के लिये काफी थी और वोह येह कि जिस मर्द यानी हज़रते सफ्वान बिन मुअत्तल के साथ आप पर इल्ज़ाम लगाया गया था वोह मख़सूस नक्स की वज्ह से किसी औरत से सोहबत करने के काबिल ही नहीं थे।..✍️

   *📬 फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा 54 📚*

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       *⚘ हर नबी की बीवी पाक दामन ⚘*                            
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⚘❂•➤ येह वोह दलाइले काहिर थे जो हज़रते आइशा सिद्दीका رضي الله عنها की इफ्फतो इस्मत को साबित करते और आप की शाने अज़मत निशान को मज़ीद बुलन्द करते हैं और इन दलाइल में मज्बुत तरीन दलील कुराने पाक की आयात हैं, हुज़ूर ﷺ आइशा सिद्दीका के किरदार से बिल्कुल मुत्म्इन थे, आप ﷺ को यकीन था कि आइशा पाको साफ़ हैं, सिर्फ येही नहीं बल्कि आप ﷺ ने ब अताए इलाही अज़ रूए इल्मे गैब हर नबी की बीवी का पाक दामन होना बयान फ़रमाया, चुनान्चे हज़रते अशरस खुरासानु से मरवी है कि नबिय्ये अकरम ﷺ का फ़रनाने मुअज्जम हैं किसी नबी की बीवी बदकारी में मुब्तला नहीं हुई।

⚘❂•➤ तमाम अम्बियाए किराम की अज़वाज अज़ रूए हदीसे पाक किरदार में साफ़ थी, येह गैबी खबर अल्लाह के महबूब ﷺ ने ब अताए खुदा बन्दी इर्शाद फरमाई।

      *⚘ एक  शुबे  का  इजाला ⚘*

⚘❂•➤ यहां येह शैतानी वस्वसा पैदा हो सकता है कि अगर हुजूर ﷺ को इल्मे गैब था तो हुजूर ﷺ ने बराअते आइशा का इज़हार क्यूं न फ़रमाया?

⚘❂•➤ दर अस्ल हुज़ूर ﷺ हक़ीक़ते हाल से बा खबर थे, लेकिन वहये इलाही नाज़िल होने तक खामोशी में कई दीगर हिक्मतों के इलावा एक मस्लहत येह भी थी कि अपने घर की खुद सफाई देने से लोग कह सकते थे कि अपने घर और अपनी इज़्ज़त का मुआमला था इस लिये ऐसा बयान दे दिया, वर्ना येह कैसे हो सकता है कि तमाम अम्बियाए किराम की अज़वाज की पाक दामनी की तो ख़बर दे रहे हों और अपनी बीवी का पता न हो? ब मुताबिक कुरआनो हुदीस हर सहीहुल अकीदा मुसल्मान का ईमान है कि महबूबे रहमान ﷺ अताए रहमान नबीय्ये गैबदान हैं। पहले नबी से आखिरी नबी तक की अज़वाज की इफ़्फ़त का इल्मे गैब, आप ﷺ का इल्मे गैब फ़क़त यहाँ तक मौकूफ़ नहीं बल्कि रोजे अव्वल से रोजे आखिर तक के तमाम वाकिआत व हादिसात से भी आप ﷺ बा खबर हैं।

⚘इल्मे गैबे मुस्तफा का सुबूत क़ुरआन से अगली पोस्ट में..أن شاء الله

   *📬 फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा 55  📚*

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  *⚘ इल्मे गैबे मुस्तफा का सुबूत कुरआन से ⚘*                            
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⚘❂•➤ अल्लाह अपने पाक कलाम कुरआने मजीद में इर्शाद फ़रमाता है और येह नबी गैब बताने में बखिल नही। (ث ۳۰، التکویل:٢٤)

⚘❂•➤ इस आयते मुबारको से मालूम हुवा कि हुज़ूर ﷺ गैब बताते हैं और जाहिर हैं कि बताएगा वोही जीस को इल्म होगा। तो विला शुबा रब्बुल आलमीन की इनायत से रहमतुल्लिल आलमीन ﷺ इल्मे गैब की दौलत में मालामाल हैं। बारगाहे रिसालत में आला हज़रत अर्ज करते हैं

*और कोई गैब क्या तुम से निहां हो भला*

     *जब न खुदा ही छुपा तुम पे करोड़ों दुरूद्*

⚘❂•➤ शरहे कलामे रज़ा या रसूलल्लाहु!! आप की शाने अजमत निशान के क्या कहने! शबे मेराज ऐन जागती हालत में आप ने अपने मुबारक सर की आंखों से अपने पाक परवर दगार का दीदार किया, तो यूं अल्लाह जो कि गैबुल गैबे है वह भी अपने फज्लो करम से आप पर जाहिर व आशकार हो गया तो अब कोई और गैब आप से किस तुरह निहा यानी छुपा रह सकता है।

⚘❂•➤ बाज़ गुमराहों और बद अक़ीदा लेगों के गन्दे जेहनों को शाने हबीबे किब्रिया और इल्मे गैबे मुस्तफा की खुश्बु पसन्द नहीं, मुर्दार खोर गिध की मानिन्द उन की नज़रो फ़िक्र हज़राते अम्बिया व गुकर्रबीने बारगाहे इलाह के नक़ाइस व उयूब तलाश करने की सअये ना मश्कूर में सरगरदा रहती है। इल्मे गैब की बात चली हैं तो अर्ज कर दें कि बाज ऐसी सूरते भी हैं जिन में अम्बियाए किराम को अता होने वाले उलूमे गैबिया का इन्कार मूजिबे कुफ़ है।..✍️

    *📬 फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा 56 📚*

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*⚘क़ज़फ़ की तारीफ, हुक्म और काज़िफ़ पर हद्दे शरइ का बयान  ⚘*                            
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⚘❂•➤ किसी को जिना की तोहमत लगाने को क़ज़फ़ कहते हैं और येह कबीरा गुनाह है। यूही लिवातत की तोहमत भी कबीरा गुनाह हैं मगर लिवतत के तोहमत लगाई तो हद नहीं बल्कि ताजीर है और ज़िना की तोहमत लगाने वाले पर हृद हैं। हद्दे क़ज़फ़ आज़ाद पर अस्सी (80) कोड़े हैं और गुलाम पर चालीस (40)।

     *✍️बहारे शरीअत 2/394 📙*

⚘❂•➤ जो इस्लामी बहनें आपस में एक दूसरे की इज़्ज़त उछालती, सुनी सुनाई बातों पर किसी को बदकार जानती या कहती हैं उन से रब्बे क़हार व जब्बार की पकड़ से डर जाना चाहिये। वल्लाह! दोजख का अज़ाब बरदाश्त नहीं हो सकेगा। लिहाजा क़ज़फ़ की वईदात पर मुश्तमिल आयात व अहदीस मुलाहज़ा कीजिये

⚘❂•➤ और जो ईमान वाले मर्दो और औरतों को बे किये सताते हैं उन्हों ने बोहतान् और खुला गुनाह अपने सर लिया। (ث ٢٢، الأحزاب:٥٨)

⚘❂•➤  और जो पारसा औरतों को ऐब लगाएं फिर चार गवाह मुआयन के न लाएं तो उन्हें अस्सी कोडे लगाओ और उन की कोई गवाही कभी न मानो और वोही फ़ासिक हैं मगर जे इस के बाद तौबा कर लें और संवर जाएं तो बेशक अल्लाह बख्शने वाला मेहरबान हैं। (ث ١٨، النور :٥،٤)

⚘❂•➤  अबू हुरैरा رضي الله عنه से मरवी हैं कि हुजूरे अकरम  ने इरशाद फ़रमाया “जो शख्स अपने मम्लूक पर जिना की तोहमत लगाए कियामत के दिन उस पर हद लगाई जएगी मगर जब कि वाकेअ में वह गुलाम वैसा ही है जैसा उस ने कहा।

              *✍️ सहीह मुस्लिम 📗*

⚘❂•➤  हज़रते इकिरमा رضي الله عنه से मरवी हैं, वोह कहते हैं एक औरत या मर्द ने अपनी बांदी को ज़ानिया कहा। हज़रते अब्दुल्लाह बिन उमर رضي الله عنه ने फ़रमाया  तूने ज़िना करते देखा है? उस ने कहा नहीं। फ़रमाया कसम है उस की जिस के कब्जे में मेरी जान है! कियामत के दिन इस की वजह से तुझे 80 कोडे मारे जाएंगे।..✍️

   *📬 फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा 60 📚*

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                      🕋﷽🕋

      *❥═❥ ❥~ ​​इल्म ए दीन ~❥ ❥═❥​*
             *पैगाम ए उम्मते मुहम्मदी ﷺ*

​                🅿🄾🅂🅃 ➪ 2⃣3⃣

*फैज़ाने  आइशा  सिद्दीक़ा  रादिअल्लाहु  अन्हा*

●BISMILLAHIRRAHMANI RRAHIM●

       *⚘ गुनाह के इल्ज़ाम का अज़ाब ⚘*                            
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⚘❂•➤ लोगो पर गुनाहों की तोहमत लगाने वालों के अज़ाब की एक दिल हिला देने वाली रिवायत मुलाहा हो, चुनान्चे जनाबे रिसालत मआब ﷺ ने ख्वाब में देखें हुए कई मनाज़िर का बयान फरमा कर येह भी फ़रमाया कि कुछ लोगों को जुबान से लटकाया गया था। मैं ने जिब्रईल से उन के बारे में पूछा तो उन्हों ने बतया कि येह वोह लोग हैं जो मोमिन मर्दो और औरतों पर बीला वजह इल्ज़ामे गुनाह लगाते हैं।

       *⚘ शक्की मिज़ाजों को तम्बीह ⚘*                            
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⚘❂•➤ जो शक्की मिज़ाज औरतें अपने मर्दो पर तोहमतें धरतीं और इस तरह की बातें करती हैं कि किसी औरत के चक्कर में हैं, सब पैसे उसी को दे आता हैं वगैरा यूं ही जे वहमी मर्द अपनी औरतों पर इस तरह गुनाह की तोहमतें लगाते हैं की इस की किसी के साथ "आशनाई" है, अपने आशना को फोन करती है, उस से मिलती है, गन्दे काम करवाती है वगैरा। उन को बयान कर्दा इल्ज़ामे गुनाह के अज़ाब की रिवायत से इब्रत हासिल करनी चाहिये।..✍️

   *📬 फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा 60 📚*

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*एक   मिशन  ★↷*   अमन   व   मुहब्बत   की   छाओं   में   खिदमात   सुबह  - व -  शाम   करें

आओ   हम   सब   मिल   कर   पैगाम   - ए -   नबी   ﷺ   को   आम   करें  إن شاء الله عزوجل

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       *तोहफा   ए   दीन   कुबूल   फरमाए*

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*फैज़ाने  आइशा  सिद्दीक़ा  रादिअल्लाहु  अन्हा*

●BISMILLAHIRRAHMANI RRAHIM●

       *⚘ आइशा के फ़रामिन ⚘*                            
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⚘❂•➤ उम्मुल मुअमिनीन हज़रते आइशा सिद्दीका رضي الله عنها का  सरवरे काएनात  का आप के फ़िराक की वजह से मुज़तरीब होना, पेचीदा ला यन्हल (हल न होने वाले) मसाइल में सहाबए किराम का आप رضي الله عنها की तरफ रुजू करना, कुरआने करीम का आप की बराअत बयान करना, महबूबे रब्बे कएनात का आप رضي الله عنها के हुजरे में वफात पाना और कियामत तक के लिये यहीं आराम फ़रमा होना वगैरा जैसी आप  की ला तादाद खुसूसिय्यात हैं जो आप رضي الله عنها के सहाबए किराम व दीगर अज़वाज़े मुतहहरात में एक मुन्फरीद व मुमताज़ मकाम पर फ़ाइज करती हैं, इन्हीं में से अल्लाह ने आप رضي الله عنها को एक शरफ़ येह अता फ़रमाया कि आप, बहुत बड़ी आलिमा व मुफ्तिया थीं, मुफ्ती अहमद यार खान नईमी इर्शाद फरमाते हैं अ आदम ता ई दम (यानी तख्लीके हज़रते आदम से आज तक) कोई बीबी ऐसी आलिमा फकीहा पैदा न हुई जैसी जनाबे आइशा رضي الله عنها हुई। आप उलूमे कुरआनिया, उलूम हदीस की जामे थीं, बडी मुहद्दसा और बड़ी फ़कीहा।

⚘❂•➤अल्लामा शम्सुद्दीन अबू अब्दुल्लाह मुहम्मद बिन अहमद ज़हबी आप رضي الله عنها के बारे में इर्शाद फ़रमाते हैं आप رضي الله عنها मुतलकन उम्मत की तमम औरतों से ज़्यादा फकीह हैं। बल्कि खुद हुज़ूर  ने सहाबए किराम को हुक्म फरमाया तुम अपना दो तिहाई दीन इस हुमैरा (यानी हज़रते आइशा सिद्दका) से हासिल करो।

⚘❂•➤ येही वजह है कि अजिल्ला अस्हाबे सय्यदुल मुरसलीन और ताबीईन  पेश आमदा पेचीदा मसाइले दीन के हुल्ले मुबीन के लिये आप رضي الله عنها की तरफ़ रुजू करते और आप इल्मो हिकमत से भरपूर मदनी फूल इर्शाद फ़रमातीं, आप की जुबाने गौहर बार से निकलने वाले येह मदनी फूल व नसाएह दर हक़ीकत गौहरे शबाब की तरह आस्मने हिदायत के परान्दा सितारे हैं जो अपने अन्दर गुम गुश्ता राहों के लिये हिदायत और तिशनगाने  इल्म के लिये सेराबी का सामान सामोए हुए है, आप رضي الله عنها को उम्मुल मुआमिनीन होने की वजह से नसीहत करने का हक़ भी हासिल है जैसा कि एक मोके पर आप رضي الله عنها ने खुद इरशाद फ़रमाया ऐ लोगो! मुझे तुम पर माँ होने की वजह से नसीहत करने का हक़ और इज़्ज़तो अज़मत हासिल है।..✍️

   *📬 फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा 65 📚*

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       *तोहफा   ए   दीन   कुबूल   फरमाए*

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    *⚘ हुजूर का ख़ुल्क कुरआन है ⚘*                            
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⚘❂•➤ अल्लाह ने अपने इस फरमाने आलीशान मुझ से दुआ करो मैं कुबूल करूंगा। को पूरा करते हुए हुज़ूर ﷺ की दुआ को कुबूल फ़रमाया और आप ﷺ पर कुरआन पाक नाज़िल फ़रमाया और इस के सथ आप को अखलाके  हसना की तालीम फ़रमाई बल्कि आप का खुल्क कुरआन था, हज़रते साद बिन हुश्शाम बिन आमिर ने फ़रमाया मैं उम्मुल मुअमिनीन हज़रते आइशा सिद्दीका की खिदमते बा बरकत में हाज़िर हुवा मैं ने अर्ज की ऐ उम्मुल मुअमिनीन मुझे रसूलुल्लाह ﷺ के अख़्लाक के मुतअल्लिक खवर दीजिये। आप ने फ़रमाया आप ﷺ का खुल्क कुरआन था, क्या तुम कुरआन नहीं पड़ते?

         *⚘मकारिमे  अखलाक ⚘*                            
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⚘❂•➤ प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो! अहमदे मुज्तबा, मुहम्मदे मुस्तफ़ा ﷺ का फ़रमान हैं अल्लाह ने अख़्लाक के दरजात मुकम्मल करने और अच्छे आमाल के केमालात पूरे करने के लिये मुझे भेजा है। हुज्जतुल इस्लाम हज़रते इमाम मुहम्म्द बिन मुहम्मद गज़ाली एहयाउल उलूम में पेंकरे हुस्ने अख़्लाक, नबियों के सरदार ﷺ के अख़्लाक के सिल्सिले में इर्शाद फरमाते हैं हुज़ूर ﷺ बारगाहे इलाही में बहुत तजर्रोअ व आजिज़ी फ़रमाय करते और अल्लाहु रब्बुल इज़्ज़त से हमेशा सुवाल किया करते कि अल्लाह आप ﷺ को महासिने आदाब व मकारिमे अख़्लाक़ से मुजय्यन फ़रमाए।

⚘❂•➤ चुनान्चे आप ﷺ अपनी दुआ में अर्ज किया करते ऐ अल्लाह! तूने मेरी सूरत अच्छी की मेरी सीरत को भी अच्छा कर दे। और अर्ज करते ऐ अल्लाह! मुझे बुरे अख़लाक़ से दूर रख।..✍️

   *📬  फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा 66 📚*

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*फैज़ाने  आइशा  सिद्दीक़ा  रादिअल्लाहु  अन्हा*

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 *⚘ हुस्ने अख़्लाक की फज़ीलत में 4 रिवायात ⚘*                            
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⚘❂•➤ इख्लास के साथ ब निय्यते सुन्नत अच्छे अख़्लाक अपनाने के बे शुमार फ़ज़ाइल हैं, इख़्तिसार के साथ सिर्फ 4 अक्वाल ज़िक्र किये जाते हैं

⚘1⃣•➤  हज़रते अनस बिन मालिक رضي الله عنه फ़रमाते हैं कि मैं ने नबि ﷺ को इर्शाद फ़रमाते हुए सुना  हुस्ने अख़्लाक जन्नत के आमाल में से है।

⚘2⃣ •➤ हज़रते आइशा सिद्दीका رضي الله عنها फरमाती हैं, हुज़ूर ﷺ ने इर्शाद फरमाया बन्दा अपने हुस्ने अख़लाक़ की वजह से रात को इबादत करने वाले और दिन को रोज़ा रखने वाले के दरजे को पा लेता है।

⚘3⃣ •➤ हज़रते सईद बिन आस رضي الله عنه से रिवायत हैं कि अगर मकारिमे अख़लाक़ (इख्तियार करने) आसान होते तो इन्हें इख्तियार करने में घटिया लोग तुम पर सब्कत ले जाते लेकिन येह तल्ख व कड़वे हैं, इन पर वोही शख्स सब्र कर सकता है जो इन की फज़ीलत से वाकिफ है और जो इन के सवाब की उम्मीद रखत है।

⚘4⃣ •➤ हज़रते इमाम मुहम्मद बिन मुहम्मद गज़ाली رحمة الله عليه फ़रमाते हैं हुस्ने अख़्लाक़ ईमान है और बुरे अख़लाक़ निफ़ाक़।

⚘❂•➤ प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो! الحمد لله ! हमारे मीठे मीठे आका ﷺ हुस्ने अख़्लाक़ के तमाम गोशों के जामे थे, हुस्ने अख़्लाक़ में क्या क्या चीजें शामिल हैं, उन में से चन्द एक को ان شاء الله अगली पोस्ट में ज़िक्र किया जायेगा।..✍️

   *📬 फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा 67 📚*

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       *⚘ हुस्ने अख़्लाक की 10 बातें ⚘*                            
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⚘❂•➤ उममूल मुअमिनीन हज़रते आइशा सिद्दीका رضي الله عنها फ़रमाती हैं नबिय्ये अकरम ﷺ ने मकारिमे अख़्लाक के मुतअल्लिक इर्शाद फ़रमाया 10 बातें हुस्ने अख्लाक में से हैं और वोह किसी शख्स में होती हैं मगर उस के बेटे में नहीं होतीं, बेटे में हों तो बाप में नहीं होतीं, गुलाम में हों तो आका में नहीं होतीं, अल्लाह जिस के लिये सआदत मन्दी का इराद फ़रमाता है उसे इन में से हिस्सा अता फ़रमाता है (वोह 10 बातें येह हैं)

⚘1⃣ •➤ सिद्के मक़ाल  (यानी सच बोलना)

⚘2⃣ •➤ जंग में साबित क़दमि

⚘3⃣ •➤ साइलीन की हाजत रवाई

⚘4⃣ •➤ एहसान का बदला देना

⚘5⃣ •➤ अमानत की हिफाज़त

⚘6⃣ •➤ सिलए रेहमी

⚘7⃣ •➤ पड़ोसी और

⚘8⃣ •➤ अपने दोस्त के साथ हुस्ने सुलूक

⚘9⃣ •➤ मेहमान नवाजी और

⚘1⃣0⃣ •➤ इन सब की अस्ल “हया" है।..✍️

   *📬 फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा 67 📚*

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*⚘ हया रूह की पाक दामनी का नाम है ⚘*                            
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⚘❂•➤ कल की पोस्ट में ज़िक्र की गई हदीस शरीफ के तहत हजरते अल्लाम मुहम्मद अब्दुरऊफ़ मुनावी رحمة الله عليه पहले 9 अख्लाक के मुतअल्लिक फ़रमाते हैं येह ज़ाहिरी मकारिमे अख़लाक़ हैं जो बातिनी मकारीमे अख़लाक़ से पैदा होते हैं (मजीद फ़रमाते हैं) इन सब की अस्ल हया (इस लिये) है कि यह रूह की पाक दामनी का नाम है। मज़ीद फ़रमाते हैं जिस को इन अखलाक में से जो खुल्क दिया गया वह उस को पाक करने वाला है और वह इस एक के ज़रीए सआदत पा लेता है तो जिस में येह तमाम मुकारिमे अख़्लाक जम्अ हों उस की सआदत मन्दी का आलम क्या होगा। और फ़रमाते हैं अख़्लाके हसना (इन के इलावा भी) बहुत सारे हैं और हर खुल्के हसन अल्लाह के अख़्लाक में से हैं और अल्लाह ने अपने अख़्लाक से मुज़य्यन होने को पसन्द फ़रमाया है पस अख़्लाके हसना  में से जिस बन्दे को जो खुल्क भी दिया गया वोह उस के लिये दारैन में शरफो फजीलत और बुलन्दी पाने का सबब है।

           *⚘हुस्ने अख़्लाक़ की अस्ल ⚘*                            
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⚘❂•➤ उम्मुल मुअमिनीन हुज़रते आइशा सिद्दीका رضي الله عنها इर्शाद फ़रमती हैं मकारिमे अख़्लाक की अस्ल “हया" हैं।..✍️

   *📬 फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा 68 📚*

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        *⚘ हृया  की  तारीफ ⚘*                            
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⚘❂•➤ प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो! आप ने उम्मुल मुमिनोन हज़रते आइशा सिद्दीक़ा رضي الله عنها का फ़रमान मुलाहज़ा फरमाया कि मकारिमे अख़्लाक की अस्ल हया है। हया के माना है ऐब लगाए जाने के खौफ से झेपना। इस से मुराद वोह वस्फ़ है जो उन चीजों से रोक दे जो अल्लाह तआला और मख़लूक़ के नज्दीक ना पसन्दीदा हो। लोगों से शरमा कर किसी ऐसे काम से रुक जाना जो उन के नज़दीक अच्छा न हो मख़लूक़ से हया कहलाता है, येह भी अच्छी बात है कि आम लोगो से हया करना दुन्यावी बुराइयों से बचाएगा और उलमा व सुलहा से हया करना दीनी बुराइयों से बाज़ रखेगा। मगर हया के अच्छा होने के लिये जरूरी है कि मख़लूक़ से शरमाने में खालिक की ना फ़रमानी न  होती हो और न ही वोह हया किसी के हुकुक की अदाएगी में रुकावट बन रही हो।

⚘❂•➤ अल्लाह तआला से हया येह है कि उस की हैबतो जलाल और उस का खौफ दिल में बिठाए और हर उस काम से बचे जिस से उस की नाराज़ी का अन्देशा हो।

⚘❂•➤ हज़रते शहबुद्दीन सुहवर्दी رضي الله عنه फ़रमाते हैं अल्लाह के अज़मतो जलाल की ताज़ीम के लिये रूह को झुकाना हृया है। और इसी किस्म से हज़रते इसराफिल عليه السلام की हया है जैसे कि वारिद हुवा है कि वो अल्लाह से हाय की वजह से अपने परो में छुपे हुए है।..✍️

   *📬 फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा 69 📚*

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*फैज़ाने  आइशा  सिद्दीक़ा  रादिअल्लाहु  अन्हा*

●BISMILLAHIRRAHMANI RRAHIM●

       *⚘ मौजूदा दौर की हालते ज़ार ⚘*                            
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⚘❂•➤ प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो! आज कल फेशन एबल नौ जवान लड़कियों में हया का दूर दूर तक कोई निशान नज़र नहीं आता, आह! कैसा दौर आ गया है शैखे तरीकत, अमीरे अहले सुन्नत इर्शाद फरमाते हैं अफ्सोस! सद करोड़ अफ़सोस! जवान लड़की अब चादर और चार दीवारी से निकल कर मख्लूत तालीम की नुहूसत में गिरफ्तार, "बॉय फ्रेन्ड" के चक्कर में फंस गई, इसे जब तक चादर और चार दीवरी में रहने की सआदत हासिल थी वोह शरमीली थी और अब भी जो चादर व चार दीवारी में होगी वोह ان شاء الله बा हया ही होगी। अफ्सोस! हालात बिल्कुल बदल चुके हैं, अब तो अक्सर कंवारी लड़कियां शादियों में खूब नाचतीं और मेहंदी व माइयों की रस्मों वगैरा में बे बाकाना बे हयाई के मुज़ाहरे करती हैं।

⚘❂•➤ बाज़ क़ौमों में यह भी रवाज है कि दूल्हा निकाह के बाद रुख्सती से क़ब्ल ना महरमात कि जिन से पर्दा ज़रूरी है उन जवान लड़कियों के झुरमट में जाता है और वोह दूल्हा के साथ खींचा तानी व हंसी मजाक करती हैं येह सरासर ना जाइज़ व हराम और जहन्नम में ले जाने वाला काम है।

⚘❂•➤ अल गरज! आज की फेशन एबल व बे पर्दा लड़किया अफ्आल व अक़वाल हर लिहाज़ से चादरे हया को तार तार कर रही हैं। मां बाप अपनी औलाद को पहले से नहीं संभालते और फिर जब कोई लड़की अपनी मरज़ी से किसी के साथ "मन्सूब" हो जाती है तो अब मां बाप सर पकड़ कर रोते हैं, जो बाप लड़की को कोलेज भेजते हैं, फ़िल्में डिरामे देखने से नहीं रोकते गालिबन उन की येह दुन्यवी सज़ा होती है।..✍️

   *📬  फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा 69 📚*

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आओ   हम   सब   मिल   कर   पैगाम   - ए -   नबी   ﷺ   को   आम   करें  إن شاء الله عزوجل

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       *तोहफा   ए   दीन   कुबूल   फरमाए*

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       *⚘📖  इल्म  नूर  है  ग्रुप  📖⚘*
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                      🕋﷽🕋

      *❥═❥ ❥~ ​​इल्म ए दीन ~❥ ❥═❥​*
             *पैगाम ए उम्मते मुहम्मदी ﷺ*

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*फैज़ाने  आइशा  सिद्दीक़ा  रादिअल्लाहु  अन्हा*

●BISMILLAHIRRAHMANI RRAHIM●

        *⚘ तवाज़ोअ  अफ्ज़ल  इबादत ⚘*                            
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⚘❂•➤ शैख शहाबुद्दीन इमाम अहमद बिन हजर मक्की शाफेई رحمة الله عليه आइशा सिद्दीका رضي الله عنها का फरमान नक्ल करते हैं तवाज़ोअ अफ्ज़ल इबादत है । एक जगह आग ने इशाद फ़रमाया तुम इबादत में शक्लें मत बिगाड़ो, तुम पर तवाज़ोअ इख्तियार करना नाजिम हैं क्यूं कि तवाज़ोअ अफ्जल इबादत है।

⚘❂•➤ एक और मकाम पर आप से मरवी है तुम ज़रूर अफ्ज़ल इबादत यानी तवाज़ोअ से गाफ़िल हो। एक मकाम पर फ़रमाया बेशक तुम ज़रूर अफ्ज़ल इबादत यानी तवाज़ोअ को तर्क करते हो। देखो! दो दो ताकीदों के साथ हमारी अम्मीजान, हबीबए हबीबे खुदा رضي الله عنها इर्शाद फरमा रही हैं कि बेशक तुम जरूर अज़ल इबादत यानी तवाज़ोअ को तर्क करते हो, एक ताकीद बेशक और दूसरी ज़रूर।

       *⚘ तवाज़ोअ  की  तारीफ़   ⚘*                            
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⚘❂•➤ प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो! हुज्जतुल इस्लाम हज़रते इमाम मुहम्मद बिन मुहम्मद बिन मुहम्मद गज़ली رحمة الله عليه मिन्हाजुल आबिदीन में तवाज़ोअ की तारीफ़ बयान करते हुए इर्शाद फ़गाते हैं अपने आप को हकीर और कमतर समझने को तवाज़ोअ कहते हैं।

      *⚘ तवाज़ोअ  का  इन्आम  ⚘*                            
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⚘❂•➤ हजरते अब्दुल्लाह बिन अब्बास رضي الله عنه फ़रमाते हैं जब हज़रते मूसा कलीमुल्लाह عليه السلام ने अल्वाह (यानी तख्तियों) को पकड़ कर उन पर नज़र डाली तो अर्ज़ किया या इलाही! तूने मुझे ऐसी बुज़ुर्गी से सरफ़राज़ फरमाया है जिस से मुझ से पहले किसी को सरफ़राज़ न फ़रमाया था। तो अल्लाह ने उन की तरफ़ वही फ़रमाई क्या तुम जानते हो कि मैं ने तुम्हारे साथ ऐसा क्यूं कया है? अर्ज किया मैं नहीं जानता। फ़रमाया इस लिये कि मैं ने अपने बन्दों के दिलों पर नज़र फ़रमाई तो तुम्हारे दिल से ज़्यादा किसी को तवाज़ोअ करने वाला नहीं पाया, लिहाज़ा जो मेरी अज़मत के सामने झुक जाए, मेरी मख़लूक़ पर बड़ाई न चाहे, अपने दिल पर मेरे खौफ को लाज़िम कर ले, अपना दिन मेरे ज़िक्र में गुज़ारे और मेरी खातिर अपनी ज़बान को नफ़सानी ख्वाहिशात से रोक ले तो में भी उस की तरफ तवज्जोह फरमाता हु।..✍️

   *📬  फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा 71 📚*

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_*🕋 ⚘ мαιiκo  мoια  κi  βααяgαн - Ё - Aαιiγα  мαi  Dυα  нαi  мαιiκo  мoια  нαмε  κεнηε, Sυηηε, ραdнηε, ιiκнηε,  βoιηε  Sε  Ziγαdα  Aмαι  κi  τofεεq - Ё - яαfεεq  Aτα   Fαямαγε.*_

              ⚘ امين  يارب العالمين ⚘

                       _*ταιiβ-Ё-Dυα*_
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